आर. जे. शंकरा आई हॉस्पिटल द्वारा सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट के सहयोग से भन्दहा कला, कैथी में निशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर का आयोजन
आबिद शेख, वाराणसी
वाराणसी। आर. जे. शंकरा आई हॉस्पिटल ने रविवार को सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट के सहयोग से भन्दहा कला, कैथी केंद्र पर एक निशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर का आयोजन किया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र के गरीब और जरूरतमंद लोगों को मोतियाबिंद जैसी आँखों की गंभीर समस्याओं से बचाने और उनका उपचार करना था। शिविर में कुल 217 लोगों ने नेत्र परीक्षण कराया, जिसमें से 40 मरीज मोतियाबिंद से पीड़ित पाए गए।
इन 40 मरीजों को आर. जे. शंकरा आई हॉस्पिटल द्वारा मुफ्त ऑपरेशन, लेंस और चश्मे की सुविधा देने का वादा किया गया। मरीजों को अस्पताल द्वारा रिंग रोड माधोपुर स्थित अस्पताल भेजने के लिए विशेष बस की व्यवस्था की गई, ताकि उन्हें ऑपरेशन के लिए अस्पताल पहुंचाया जा सके। सोमवार को इन सभी मरीजों का ऑपरेशन किया जाएगा और मंगलवार को ऑपरेशन के बाद उन्हें वापस आशा ट्रस्ट के केंद्र पर लाया जाएगा। इन मरीजों का पुनः परीक्षण 23 फरवरी को उसी केंद्र पर किया जाएगा।
शिविर में आर. जे. शंकरा आई हॉस्पिटल की टीम ने विशेष रूप से अपनी सेवा दी। टीम में युगल चन्द्र के नेतृत्व में रिया, शालू, संजू, जयेंद्र और आशुतोष ने अहम भूमिका निभाई। इस शिविर का उद्देश्य केवल मरीजों का इलाज करना ही नहीं था, बल्कि लोगों को जागरूक करना भी था, ताकि वे अपनी आंखों की सेहत को लेकर अधिक सतर्क रहें।
आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि इस प्रकार के शिविरों का आयोजन भविष्य में भी किया जाएगा, ताकि जिले के और आसपास के जरूरतमंद लोगों को विशेष रूप से मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचाया जा सके। इस आयोजन के माध्यम से आशा ट्रस्ट और जिला अंधत्व निवारण समिति ने मिलकर इस नेक पहल की शुरुआत की है।
शिविर के आयोजन में स्थानीय समुदाय के कई सक्रिय सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें प्रदीप सिंह, अरुण कुमार पाण्डेय, अमित कुमार, जनक नंदिनी, ज्योति सिंह, नर नाहर पाण्डेय, रमेश प्रसाद, मिथिलेश दुबे, महेंद्र राठोर, सूरज पाण्डेय, सत्येन्द्र दुबे, घनश्याम सिंह, आंचल, मोनी, सुनीता, और साधना पाण्डेय शामिल रहे। इन सभी ने शिविर की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
यह शिविर न केवल एक चिकित्सा सेवा के रूप में बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का एक अच्छा उदाहरण साबित हुआ, जो स्वास्थ्य के मामले में वंचित वर्ग तक पहुंचने का एक प्रयास था।