“इच्छा मृत्यु की गुहार: डिप्टी जेलर की बेटी ने राष्ट्रपति को लिखा 20 पन्नों का पत्र”
पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह पर कार्रवाई न होने से टूटा भरोसा, नेहा शाह ने सिस्टम पर जताया आक्रोश

रिपोर्ट: विशाल कनौजिया
वाराणसी। उत्तर प्रदेश की जेल व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र पर सवाल उठाते हुए वाराणसी जिला जेल की पूर्व डिप्टी जेलर मीना कनौजिया की बेटी नेहा शाह ने राष्ट्रपति को 20 पन्नों का पत्र लिखते हुए इच्छा मृत्यु की मांग की है।
यह मामला केवल एक व्यक्तिगत पीड़ा नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की असफलता का आईना है जहाँ भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही की बजाय उन्हें संरक्षण दिया जाता है। नेहा ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्हें अब देश की न्याय व्यवस्था और प्रशासन पर कोई भरोसा नहीं रहा।
पत्र में उन्होंने पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में जेल के भीतर हुई अनियमितताओं और अत्याचारों की जानकारी और सबूत राष्ट्रपति को भेजे गए हैं। लेकिन एक महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
“अब बाहर निकलती हूं तो डर लगता है। घर पर कोई सामान भी नहीं ला सकता। ऐसे घुट-घुट कर जीने से बेहतर है मर जाना।” — नेहा शाह के ये शब्द प्रदेश की प्रशासनिक संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
नेहा ने साफ लिखा है कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उमेश सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी क्योंकि सिस्टम ऐसे लोगों को बचाने में लगा हुआ है। यह पूरा मामला योगी सरकार के उस दावे को चुनौती देता है जिसमें कहा गया था कि प्रदेश में भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जा रही है।
अब देखना यह होगा कि राष्ट्रपति भवन से इस पत्र पर क्या प्रतिक्रिया आती है और क्या प्रदेश सरकार इस गहरी पीड़ा का संज्ञान लेकर कोई ठोस कदम उठाती है या यह आवाज भी अन्य मामलों की तरह सिस्टम के शोर में दबकर रह जाएगी।