करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने दलित सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर फेंके टायर, हमला करने की कोशिश

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~ अलीगढ़ में दलित सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर करणी सेना का हमला
~ काफिले पर टायर फेंककर की हमला
अलीगढ़, 27 अप्रैल 2025: समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद और दलित नेता रामजीलाल सुमन के काफिले पर रविवार को करणी सेना और क्षत्रिय महासभा के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। यह घटना अलीगढ़ के घबाना टोल प्लाजा के पास हुई, जब सांसद सुमन आगरा से बुलंदशहर जा रहे थे। हमलावरों ने काफिले पर टायर और पत्थर फेंके, जिससे कई वाहनों को नुकसान पहुंचा। इस घटना की व्यापक निंदा हो रही है, और इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए दलित और पिछड़े वर्गों में आक्रोश फैल गया है।
क्या है विवाद की जड़: यह हमला सुमन के 21 मार्च 2025 को राज्यसभा में दिए गए एक बयान से उपजे विवाद का परिणाम है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर राणा सांगा को “गद्दार” कहा और दावा किया कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत बुलाया था। इस बयान को राजपूत समुदाय ने अपमानजनक माना, जिसके बाद करणी सेना ने सुमन के खिलाफ आक्रामक प्रदर्शन शुरू किए। इससे पहले 26 मार्च को सुमन के आगरा स्थित आवास पर भी हमला हुआ था।
इस हमले के करणी सेना ने ली जिम्मेदारी: करणी सेना के प्रांतीय अध्यक्ष दुर्गेश सिंह ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि जब तक सुमन अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगते, उनके संगठन का विरोध जारी रहेगा। सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट में इस हिंसा को जायज ठहराया गया, जिससे तनाव और बढ़ गया है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस हमले को दलित विरोधी और बीजेपी द्वारा प्रायोजित साजिश करार दिया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ सुमन पर हमला नहीं, बल्कि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की आवाज को दबाने की कोशिश है।” सपा नेता शिवपाल यादव ने भी इसे शर्मनाक बताते हुए प्रशासन पर नाकामी का आरोप लगाया। वहीं, अम्बेडकर अनुयायी एकता फाउंडेशन जैसे दलित संगठनों ने इसे सभी दलितों पर हमला बताते हुए करणी सेना के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी।
सुरक्षा और प्रशासन पर सवाल: यह दूसरा मौका है जब सुमन को निशाना बनाया गया, फिर भी उनकी सुरक्षा में चूक साफ नजर आई। सुमन ने पहले ही राज्यसभा के उपसभापति को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की थी। विपक्ष ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं प्रशासन की मिलीभगत या लापरवाही के बिना संभव नहीं हैं।
लोकतंत्र पर खतरा: यह घटना न केवल एक सांसद की सुरक्षा का सवाल है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी हमला है। करणी सेना जैसे संगठनों की गुंडागर्दी और हिंसक रवैये ने उनकी छवि को एक असामाजिक तत्व के रूप में और मजबूत किया है। कई संगठनों ने मांग की है कि ऐसी ताकतों को कानून के दायरे में लाया जाए।
यह घटना न केवल उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि देश में जातिगत तनाव और सांप्रदायिक एकता के लिए भी एक चेतावनी है।