काशी में पूर्णिमा महोत्सव का भव्य शुभारंभ, नारी सम्मान से परे कथा वाचक स्वीकार्य नहीं: करौली शंकर महादेव
कथा वाचक अनिरुद्ध आचार्य द्वारा महिलाओं पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों पर कहा कि “नारी का सम्मान न करने वाला कोई भी कथा वाचक नहीं हो सकता”

वाराणसी। काशी की पावन धरा पर दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में मिश्री मठ, हरिद्वार के तृतीय मठाधिपति परम पूज्य पूर्ण गुरु श्री करौली शंकर महादेव जी के सानिध्य में भव्य त्रिदिवसीय पूर्णिमा महोत्सव का शुभारंभ हुआ।
आयोजन के पहले दिन भजन-संगीत, साधना और ध्यान कार्यक्रमों में हजारों भक्तों ने हिस्सा लिया। बीएचयू के संगीत विभाग से आए कलाकारों ने अपने सुरों से माहौल को भक्तिमय बना दिया।

गुरुजी ने प्रवचन में काशी की महिमा और साधना के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “अनुभव ही सच्चा ज्ञान है, किताबों में काशी नहीं समाती, इसे हृदय से महसूस करना होता है।” उन्होंने चंद्र ग्रहण के सूतक काल में साधना और भजन को सर्वोपरि बताते हुए नकारात्मकता से दूर रहने का संदेश दिया।
कथा वाचक अनिरुद्ध आचार्य द्वारा महिलाओं पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों पर कड़ा आक्रोश व्यक्त करते हुए गुरु करौली शंकर महादेव जी ने कहा कि “नारी का सम्मान न करने वाला कोई भी कथा वाचक नहीं हो सकता।” उन्होंने घोषणा की कि महिलाओं के सम्मान के लिए देशभर में महाआंदोलन चलाया जाएगा और अनिरुद्ध आचार्य से माफी की मांग की जाएगी। इस आंदोलन को सड़क से लेकर न्यायालय तक चलाने की चेतावनी भी दी।
कार्यक्रम में शंकर सेना के प्रदेश अध्यक्ष सुबोध चोपड़ा, काशी मंडल अध्यक्ष विवेक खन्ना सहित देश-विदेश से आए हजारों साधक मौजूद रहे। महोत्सव में 50,000 से अधिक साधक भाग ले रहे हैं, जिनमें लगभग 10,000 नए भक्त मंत्र दीक्षा भी प्राप्त करेंगे। साथ ही प्रकृति संरक्षण के लिए एक वर्ष में एक लाख पौधे लगाने का संकल्प भी दिलाया गया।