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क्या सच में मुस्लिम विरोधी है नया वक्फ कानून? राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मचा सियासी घमासान!

वक्फ संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति मुर्मु की मंजूरी, कांग्रेस-AIMIM और AAP ने जताई आपत्ति, मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

डेस्क

 

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद यह विधेयक अब कानून का रूप ले चुका है। इससे पहले यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में लंबे समय तक चली बहस के बाद पारित किया गया था।

हालांकि, इस नए कानून को लेकर राजनीतिक टकराव भी सामने आया है। कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी (आप) ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सभी ने अलग-अलग याचिकाओं के ज़रिए इसे असंवैधानिक करार देते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है।

सरकार का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में हो रहे पक्षपात, दुरुपयोग और अतिक्रमण को रोकना है। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि यह कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है, बल्कि यह प्रबंधन व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए लाया गया है।

इस विधेयक को लेकर राज्यसभा में 13 घंटे और लोकसभा में लगभग 12 घंटे बहस चली थी। इसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया, जहां राष्ट्रपति मुर्मु ने हस्ताक्षर कर इसे कानून का दर्जा दे दिया।

नए कानून के लागू होने के साथ ही अब देशभर में वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त कर दिया गया है। इसके स्थान पर नया वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 अस्तित्व में आया है। इसका मकसद वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण, पंजीकरण, विवाद निपटान और हितधारकों के सशक्तिकरण की प्रक्रिया में सुधार लाना है।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि पूर्व में बने वक्फ कानूनों ने भू-माफियाओं को संरक्षण देने का काम किया।

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