
ख़बरभारत डेस्क
वाराणसी, काशी। मां गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि ने वाराणसी के ऐतिहासिक मणिकर्णिका घाट की पारंपरिक शवदाह प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित किया है। घाट की सीढ़ियां और अंतिम संस्कार स्थल पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं, जिसके चलते अब अंतिम संस्कार की प्रक्रिया घाट के पास स्थित छतों पर की जा रही है।
पूर्व पार्षद दिलीप यादव ने जानकारी दी कि गंगा का जलस्तर बीते कुछ दिनों से तेजी से बढ़ रहा है। इसका सीधा असर मणिकर्णिका घाट पर पड़ा है, जहां सामान्य दिनों में शवदाह की प्रक्रिया घाट की सीढ़ियों के नीचे संपन्न होती थी। वर्तमान में वह पूरा इलाका जलमग्न हो चुका है, जिससे परंपरागत व्यवस्था बाधित हो गई है।
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उन्होंने बताया कि शव यात्रा लेकर आने वाले लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कीचड़, पानी और सीढ़ियों की फिसलन ने बुजुर्गों और महिलाओं के लिए घाट तक पहुंचना बेहद मुश्किल बना दिया है। कई लोग तो रास्ते में ही गिरकर घायल भी हो गए हैं।
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से आग्रह किया है कि घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं और शव यात्रियों के लिए सुरक्षित वैकल्पिक मार्ग, नावों की व्यवस्था, और अस्थायी शवदाह स्थलों की उचित व्यवस्था की जाए, ताकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पवित्रता और सम्मान के साथ संपन्न हो सके।
गंगा का यह उफान सिर्फ धार्मिक गतिविधियों को ही नहीं, बल्कि आसपास के रहवासी इलाकों को भी प्रभावित करने लगा है। लोगों के घरों में पानी भरने लगा है, और रोजमर्रा की जिंदगी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
प्रशासनिक स्तर पर निगरानी बढ़ा दी गई है। जलस्तर की निरंतर मॉनिटरिंग की जा रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए संबंधित विभागों को सतर्क कर दिया गया है।
काशी के लिए मणिकर्णिका घाट सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि मोक्ष की राह का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में गंगा के बढ़ते जलस्तर ने न केवल एक परंपरा को बाधित किया है, बल्कि भावनात्मक स्तर पर भी लोगों को प्रभावित किया है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन जल्द ही स्थायी समाधान निकालेगा ताकि श्रद्धालु बिना बाधा के अंतिम संस्कार की रस्में पूरी कर सकें।