
रिपोर्ट: राहुल पटेल।
गाजीपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गाजीपुर दौरे से जिले के हजारों छात्रों को गहरा झटका लगा है। दशकों से लंबित विश्वविद्यालय की मांग एक बार फिर दरकिनार कर दी गई। 364 से अधिक महाविद्यालयों के बावजूद गाजीपुर आज भी विश्वविद्यालय विहीन है और मुख्यमंत्री की विकास समीक्षा बैठक में इस मुद्दे का जिक्र तक नहीं हुआ।
विश्वविद्यालय निर्माण मंच के अध्यक्ष दीपक उपाध्याय ने इस पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि, “यह बेहद शर्मनाक है कि इतनी महत्वपूर्ण मांग मुख्यमंत्री तक पहुंच ही नहीं पाई। यह जनप्रतिनिधियों की विफलता और उदासीनता का प्रमाण है। हमने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा था, पर हमारी आवाज़ नजरअंदाज कर दी गई।”
उपाध्याय ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें मुख्यमंत्री के आगमन के दिन 8 घंटे से अधिक समय तक नजरबंद रखा गया, जिससे स्पष्ट होता है कि संघर्षरत आवाज़ों को दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने इसे लोकतंत्र का अपमान और छात्र हितों की घोर उपेक्षा बताया।
छात्र संगठनों का कहना है कि गाजीपुर जैसे शैक्षिक रूप से सक्रिय जनपद में विश्वविद्यालय की स्थापना एक न्यायिक और बुनियादी ज़रूरत है, जिसे लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
छात्र समुदाय ने चेतावनी दी है कि वे इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगे और जब तक विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं होती, संघर्ष जारी रहेगा।
“अब यह केवल शिक्षा की बात नहीं, बल्कि गाजीपुर की अस्मिता और अधिकार की लड़ाई है,” — विश्वविद्यालय आंदोलन से जुड़े छात्रों का कहना है।