जीवित्पुत्रिका व्रत पर महिलाओं ने मंदिरों में की पूजा-अर्चना, बच्चों की लंबी उम्र के लिए रखा निर्जला व्रत

आकाश पाण्डेय

गाज़ीपुर के सैदपुर में बुधवार को जीवित्पुत्रिका व्रत के अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं मंदिरों में एकत्रित होकर पूजा-अर्चना करती नजर आईं। इस व्रत, जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है, में महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत हिंदू धर्म में विशेष रूप से संतान की सलामती के लिए किया जाता है और इस दौरान महिलाएं आस्था व श्रद्धा से भगवान की पूजा करती हैं।

व्रत के दौरान, महिलाएं अलग-अलग टोलियों में बंटकर पूजा करती हैं और पारंपरिक कथाएं सुनती हैं। ये कथाएं राजा जिमूतवाहन, भगवान कृष्ण, अश्वत्थामा, और चील्ह (चील) और सियारिन की जीवन से जुड़ी होती हैं। इन कहानियों का विशेष महत्व होता है और इसे सुनने से व्रत करने वाली महिलाओं को धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

महिलाएं ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि उनके बच्चे स्वस्थ और दीर्घायु रहें। मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद, महिलाएं आस्था का दीपक जलाकर अपने पूजित जितिया के साथ घर लौटती हैं।

व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के दिन से होती है, जब महिलाएं गंगा स्नान करती हैं और पारंपरिक भोजन ग्रहण करती हैं। इसके बाद, बुधवार से वे 24 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें वे पानी तक नहीं पीतीं। व्रत के इस दौरान महिलाएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करती हैं। गुरुवार को महिलाएं पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण करती हैं, यानी व्रत समाप्त करती हैं।

सैदपुर में मंदिरों के प्रांगण में व्रत के दौरान महिलाओं का उत्साह देखते ही बनता है। सुबह से ही मंदिरों में लंबी कतारें लगी रहीं, जहां महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर सामूहिक रूप से पूजा करती दिखीं। यह व्रत महिलाओं के बीच आपसी मेलजोल और धार्मिक उत्सव का भी प्रतीक है, जहां वे एक-दूसरे की मदद और समर्थन से इस कठिन व्रत को पूर्ण करती हैं।

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