
रिपोर्ट: from desk
पटना। संसद से पारित वक्फ संशोधन विधेयक पर देशभर में सियासत गरमाई हुई है। एनडीए जहां इसे ऐतिहासिक बता रही है, वहीं विपक्षी पार्टियां इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बता रही हैं। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है, और कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन भी हुए हैं। इसी कड़ी में शनिवार को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वक्फ बिल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
राजद कार्यालय में मीडिया से बातचीत में तेजस्वी यादव ने दो टूक कहा कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है, तो वक्फ कानून को बिहार में किसी भी हाल में लागू नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़े वर्ग को मुख्यधारा से अलग करने की साजिश है।
तेजस्वी बोले, “जिन्हें मुसलमानों से दिक्कत है, जो उन्हें ‘मुल्ला’ कहकर संबोधित करते हैं, वे आज उनके हितैषी बनने का ढोंग कर रहे हैं। लेकिन जनता इन्हें चुनाव में जवाब देगी।”
उन्होंने कहा, “आरक्षण के लिए हमने कोर्ट तक लड़ाई लड़ी, और अब वक्फ बिल पर भी हम सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं। इस कानून को हम कुएं में फेंकने का काम करेंगे।”
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि यह बिल सिर्फ मुसलमानों तक सीमित नहीं रहेगा, इसके बाद सिखों और ईसाइयों को भी निशाना बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मंडल की 80 फीसदी आबादी पर सीधा हमला है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी ने बिहार के दोनों डिप्टी सीएम पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा, “कल अधिकारी मटन परोस रहे थे, प्लेट उठा रहे थे। दूसरी तरफ थाने-थाने जाकर अधिकारियों को हटाने की सिफारिश हो रही है। यही है आज की बीजेपी-जेडीयू सरकार की हकीकत।”
नीतीश कुमार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “ऐसे गंभीर मुद्दे पर भी मुख्यमंत्री मौन क्यों हैं? क्या उन्हें चुप कराया जा रहा है?”
वहीं जदयू के अल्पसंख्यक नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस को तेजस्वी ने ‘डर और दबाव’ का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, “पद का डर दिखाकर उन्हें बिठाया गया, धमकी दी गई कि अगर नहीं आए तो पद से हटा दिया जाएगा।”
अंत में चिराग पासवान पर भी तीखा तंज कसते हुए तेजस्वी बोले, “रामविलास पासवान जी ने गोधरा पर इस्तीफा दिया था, लेकिन चिराग अब किसके साथ खड़े हैं, ये उन्हें खुद समझना चाहिए।”
