Ghazipur

दोस्ती से दुश्मनी तक: एक गोली, दो ज़िंदगियां और गांव में पसरा सन्नाटा

सैदपुर में मामूली विवाद ने लिया हिंसक मोड़, पूर्व ग्राम प्रधानों के परिजनों के बीच खूनी झड़प

आकाश पाण्डेय, गाज़ीपुर

 

सैदपुर (गाजीपुर)। सैदपुर तहसील के हसनपुर रेलवे क्रॉसिंग के पास बुधवार की तीसरे पहर मिठाई की दुकान पर दो युवकों के बीच शुरू हुई मामूली कहासुनी देखते ही देखते खून-खराबे में तब्दील हो गई। एक ओर गोली चल गई, तो दूसरी ओर धारदार हथियार से हमला हुआ। घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई, और गांव के दो पुराने सम्मानित परिवार एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए।

पुरानी दोस्ती, नई रंजिश में बदली

मामला दो पूर्व ग्राम प्रधानों—माधव यादव (मैनपुर) और शिवपूजन यादव (लूढ़ीपुर) के परिवारों से जुड़ा है। वर्षों पुरानी दोस्ती के बावजूद उनके पोते सुगम यादव (25) और साहिल उर्फ अजय यादव के बीच हाल ही में ताड़ी पीने को लेकर कहासुनी हुई थी। घटना के एक दिन बाद सुगम के बड़े भाई शुभम यादव ने बात स्पष्ट करने के लिए साहिल को मिठाई की दुकान पर बुलाया, लेकिन बातचीत जल्द ही झगड़े में बदल गई।

गोलियों की आवाज़ और बहता खून

बात इतनी बढ़ गई कि साहिल के परिवार की ओर से फायरिंग कर दी गई। गोली शुभम यादव के सीने के दाहिनी ओर जा लगी। घायल अवस्था में भी कुछ देर तक मारपीट होती रही। इस झड़प में साहिल के पिता अनिल यादव उर्फ सिपाही यादव (45) के सिर पर धारदार हथियार से हमला हुआ, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं।

गांव में पसरा सन्नाटा, रिश्तों में आई दरार

घटना के बाद दोनों घायल व्यक्तियों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। शुभम की स्थिति को नाज़ुक देखते हुए उसे वाराणसी के निजी अस्पताल में रेफर किया गया, जबकि अनिल यादव को गाजीपुर जिला अस्पताल भेजा गया। शुभम के परिवार ने साहिल पर गोली चलाने का आरोप लगाया है।

पुलिस की सक्रियता, लेकिन तहरीर का इंतज़ार

स्थानीय पुलिस घटना की जानकारी मिलते ही हरकत में आई। शाम छह बजे प्रभारी कोतवाल प्रतापनारायण यादव ने बताया कि अभी तक कोई तहरीर प्राप्त नहीं हुई है। तहरीर मिलने पर मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “किसी को बख्शा नहीं जाएगा।”

इस मारपीट से स्थानीय लोगों में चिंता और भय का माहौल

इस हिंसक घटना के बाद क्षेत्र में तनाव व्याप्त है। दोनों परिवारों का सामाजिक प्रभाव गांवों में अच्छा रहा है, लेकिन अब लोग इनकी तरफ सवालिया निगाहों से देख रहे हैं। एक समय जो संबंध रिश्तेदारी सरीखे थे, अब दुश्मनी की दीवार बन चुके हैं।

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