“नशा मुक्त युवा” अभियान के तहत आयोजित हुआ युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन, ‘काशी घोषणापत्र’ से विकसित भारत की दिशा में ऐतिहासिक पहल

खबर भारत डेस्क
वाराणसी। बनारस में 19 जुलाई से शुरू हुआ “युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन-नशा मुक्त युवा” देश के युवाओं को एक नई दिशा देने और विकसित भारत के सपने को साकार करने की ओर एक अहम कदम साबित हो रहा है। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में “काशी घोषणापत्र” के जरिए युवाओं की सक्रिय भागीदारी और उनके विचारों को नीति निर्माण का हिस्सा बनाने की घोषणा की गई।
इस ऐतिहासिक आयोजन में कई केंद्रीय मंत्री और प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, राज्य मंत्री रक्षा निखिल खड़से, उत्तर प्रदेश के मंत्री असीम अरुण समेत अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
मंच से उठी विकसित भारत की पुकार
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि:
“15 अगस्त 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से विकसित भारत 2047 का सपना देश के सामने रखा था। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सबसे पहले हमें गुलामी की मानसिकता से मुक्त होना होगा। देश की 65% आबादी युवा है और यही भारत का सबसे बड़ा डेमोग्राफिक डिविडेंड है। युवाओं की भागीदारी के बिना विकसित भारत का सपना अधूरा है।”
उन्होंने बताया कि My Bharat कॉम्पिटिशन में देशभर से 30 लाख युवाओं ने भाग लिया था। इनमें से 2 लाख युवाओं के समूह ने 10 प्रमुख विषयों – महिला सशक्तिकरण, टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि पर विचार प्रस्तुत किए। चयन की कई चरणों के बाद 3,000 युवाओं को “नशा मुक्त भारत” अभियान से विशेष रूप से जोड़ा गया है।
कई मंत्रालयों का एक साझा मंच
यह सम्मेलन अपनी तरह का पहला आयोजन है, जहां गृह मंत्रालय, युवा मामले एवं खेल मंत्रालय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और राज्य सरकारें एक साथ मिलकर नशा मुक्त युवा भारत अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। इससे यह संदेश भी गया कि अब नशे के खिलाफ लड़ाई केवल एक मंत्रालय की नहीं बल्कि पूरे देश की प्राथमिकता है।
‘काशी घोषणापत्र’ बनेगा नीति परिवर्तन की नींव
सम्मेलन के अंत में युवाओं द्वारा प्रस्तुत “काशी घोषणापत्र” को औपचारिक रूप से जारी किया जाएगा, जिसमें देश को विकसित बनाने के लिए युवाओं के दृष्टिकोण और सुझाव शामिल होंगे। यह घोषणापत्र विभिन्न मंत्रालयों और नीति निर्धारकों को सौंपा जाएगा ताकि युवाओं की आवाज़ सीधे नीति निर्माण में सुनी जा सके।
गांव-गांव तक पहुंचेगी मुहिम
डॉ. मंडाविया ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक सम्मेलन नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन है। उन्होंने आह्वान किया कि गांव-गांव, गली-गली तक हर संस्था, संगठन और नागरिक को इस अभियान से जुड़ना चाहिए, ताकि देश के युवाओं को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालकर उन्हें एक सकारात्मक दिशा दी जा सके।