परिषदीय स्कूलों के लिए नया टोल-फ्री नंबर जारी, शिकायत करना हुआ आसान
मो० आरिफ़ अंसारी
लखनऊ: परिषदीय स्कूलों में सुविधाओं और संचालन से जुड़ी शिकायतों को आसान और प्रभावी तरीके से दर्ज कराने के लिए शासन ने टोल-फ्री नंबर 18008893277 जारी किया है। इस नई पहल से अभिभावकों, ग्रामीणों और शिक्षकों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने होंगे।
क्या है टोल-फ्री नंबर का उद्देश्य?
शासन का उद्देश्य परिषदीय स्कूलों की गुणवत्ता और पारदर्शिता में सुधार करना है। टोल-फ्री नंबर के माध्यम से स्कूलों में हो रही किसी भी तरह की अनियमितता, शिक्षकों की उपस्थिति, स्कूल की सुविधाएं, मध्याह्न भोजन, या अन्य समस्याओं की शिकायत सीधे दर्ज कराई जा सकेगी।
स्कूलों में अंकित होगा टोल-फ्री नंबर
शासन ने निर्देश दिया है कि यह नंबर हर परिषदीय स्कूल की दीवारों पर स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा, ताकि सभी ग्रामीणों और अभिभावकों को इसकी जानकारी हो। यह कदम जागरूकता बढ़ाने और शिकायत प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए उठाया गया है।
अभिभावकों और ग्रामीणों के लिए सुविधा
अब अभिभावकों और ग्रामीणों को किसी समस्या के समाधान के लिए अधिकारियों के पास जाने की जरूरत नहीं होगी। वे सीधे इस नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष टीम का गठन भी किया जाएगा।
शिक्षकों के लिए भी राहत
शिक्षकों को भी इस पहल से मदद मिलेगी, क्योंकि वे स्कूलों से संबंधित शिकायतों को सीधे टोल-फ्री नंबर पर दर्ज कर सकते हैं। यह प्रक्रिया शिक्षकों को अधिकारियों तक अपनी समस्याएं पहुंचाने का सीधा माध्यम उपलब्ध कराएगी।
कौन-कौन सी शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं?
- शिक्षकों की उपस्थिति से संबंधित शिकायतें।
- स्कूल की बुनियादी सुविधाओं जैसे शौचालय, पानी, और बिजली की समस्याएं।
- मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता।
- पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता।
- स्कूल प्रशासन में भ्रष्टाचार या अन्य अनियमितताएं।
सरकार का क्या है दृष्टिकोण:
शासन ने इस टोल-फ्री नंबर को ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के एक कदम के रूप में देखा है। अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि हर शिकायत पर गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी।
“शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए जनता की भागीदारी जरूरी है। इस टोल-फ्री नंबर का सही उपयोग करके आप अपनी शिकायत दर्ज कराएं और परिषदीय स्कूलों को बेहतर बनाने में सहयोग करें।”