बनारस कैंटोनमेंट बंगलो ओनर्स एसोसिएशन ने छावनी परिषद को सौंपा ज्ञापन, अवैध कार्यवाही पर जताया विरोध

मो० आरिफ़ अंसारी
वाराणसी, 24 मई 2025: आज सुबह 11 बजे बनारस कैंटोनमेंट बंगलो ओनर्स एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल छावनी परिषद, वाराणसी के मुख्य अधिशासी अधिकारी से मुलाकात कर दिनांक 22 मई 2025 को जारी किए गए एक विवादित नोटिस और उसके आधार पर की गई कार्रवाई पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने छावनी क्षेत्र में नियमविरुद्ध ढंग से की गई तोड़फोड़ और अन्य प्रक्रियाओं पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
प्रतिनिधिमंडल ने निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर सवाल उठाए:
- बिना अधिकारिक पत्रांक के जारी नोटिस पर कार्यवाही:
प्रतिनिधियों का कहना है कि जिस नोटिस के आधार पर बंगलों पर तोड़फोड़ की गई, वह अवैध तरीका था थी और उस पर कोई आधिकारिक पत्रांक नहीं था। इसके बावजूद भी कुछ भवनों को तोड़ा गया, जो प्रशासनिक नियमों के विरुद्ध है। - स्थानीय पुलिस के बजाय आर्मी QRT का उपयोग:
छावनी अधिनियम 2006 के तहत किसी भी कार्रवाई में स्थानीय पुलिस की उपस्थिति अनिवार्य है। लेकिन इस कार्रवाई में स्थानीय पुलिस को शामिल न कर आर्मी क्विक रिएक्शन टीम (QRT) का प्रयोग किया गया, जिसे एसोसिएशन ने पूरी तरह नियमविरुद्ध बताया। - बंगलो परिसरों में सार्वजनिक नोटिस के बिना कार्यवाही:
बंगलों पर कार्रवाई से पूर्व अधिनियम के अनुसार सार्वजनिक सूचना देना जरूरी होता है। बिना सार्वजनिक सूचना के की गई कार्रवाई को एसोसिएशन ने गैरकानूनी करार दिया। - व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर सीधी ध्वस्तीकरण कार्रवाई का विरोध:
प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि छावनी क्षेत्र में यदि कोई व्यवसायिक गतिविधि अधिनियम के विरुद्ध पाई जाती है, तो पहले चालान और नोटिस देना अनिवार्य होता है। सेना पुलिस लगाकर भय का माहौल बनाते हुए सीधे ध्वस्तीकरण की कार्यवाही नियमों की अवहेलना है।
शांति पूर्ण वार्ता में मिला आश्वासन
बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई। मुख्य अधिशासी अधिकारी ने सभी बिंदुओं को ध्यानपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि इन पर गंभीरता से विचार कर न्यायोचित निर्णय लिया जाएगा। साथ ही भविष्य में इस प्रकार की कार्रवाई को लेकर पारदर्शिता और प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने का भरोसा दिया।
एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जल्द ही न्यायसंगत कार्रवाई नहीं की जाती, तो वे आगे की रणनीति पर विचार करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर कानूनी विकल्प भी अपनाएंगे।
इस बैठक को छावनी क्षेत्र के निवासियों के हितों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।