Varanasi

बनारस में सील भवनों में भी धड़ल्ले से चल रहा निर्माण, जिम्मेदार चुप – कौन देगा जवाब?

Zone 1 के मकबूल आलम रोड पर आज़ाद नगर कॉलोनी में VDA की सीलिंग के बावजूद जारी है निर्माण कार्य, स्थानीय निवासियों के शिकायत के बावजूद नही हो रही कार्यवाही

नीरज सिंह , वाराणसी

 

वाराणसी: एक तरफ वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) अवैध निर्माण पर कार्रवाई करते हुए भवनों को सील करता है, दूसरी तरफ उन्हीं सील किए गए भवनों में दिनदहाड़े निर्माण कार्य जारी रहता है। हैरानी की बात ये है कि इस सबकी जानकारी पुलिस को नहीं है – जो कि कानून के मुताबिक यथास्थिति बनाए रखने की जिम्मेदार होती है।

तीन भवन, तीनों पर VDA की कार्रवाई – फिर भी निर्माण जारी

आज़ाद नगर कॉलोनी, मकबूल आलम रोड स्थित तीन भवन ऐसे हैं, जिन्हें VDA ने या तो सील किया था या उनके खिलाफ शिकायतें थीं।

  1. हैप्पी होम इंग्लिश स्कूल के बगल वाला भवन दो साल से सील, लेकिन अंदर धीरे-धीरे निर्माण कार्य जारी है।
  2. आवासीय कॉलोनी में निर्माणाधीन निजी हॉस्पिटल – जिसे खुद VDA के वीसी पुलकित गर्ग ने चार महीने पहले सील किया था, अब वहां फिर से निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।
  3. एक नया निर्माण – जो मानचित्र के विरुद्ध बन रहा है, इसकी कई शिकायतें स्थानीय JE और जोनल अधिकारी को दी गईं, लेकिन कार्रवाई तब हुई जब पहला फ्लोर ढल चुका था। अब वह भवन भी सील है, लेकिन काम रोज हो रहा है।


पुलिस और VDA के बीच ‘संपर्कहीनता’ या मिलीभगत?

जब इस मामले में अर्दली बाजार चौकी प्रभारी से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि VDA ने उनके पास कोई नोटिस या सूचना नहीं भेजी है। यदि VDA के अधिकारी कोई तहरीर देते हैं तो कार्यवाही की जाएगी।

जबकि नियम कहता है कि VDA द्वारा सील किए गए भवन की सुरक्षा और स्थिति बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

अब सवाल ये उठता है कि –

– क्या VDA द्वारा नोटिस भेजे ही नहीं जा रहे?
– क्या पुलिस को जानबूझकर अंधेरे में रखा जा रहा है?
– या फिर दोनों विभागों में ‘समझदारी’ से हो रही अनदेखी?

कानून के खुले उल्लंघन पर कोई जिम्मेदार नहीं

जिस भवन को सरकारी आदेश पर सील किया जाता है, उसमें अवैध रूप से निर्माण कार्य चलना सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं बल्कि सिस्टम की असफलता का प्रतीक है। VDA की कार्रवाई सिर्फ ‘कागज़ी खानापूर्ति’ बन कर रह गई है, और पुलिस की अनभिज्ञता इस पूरे मामले को और भी गंभीर बनाती है।

अब देखना यह है कि वाराणसी प्रशासन कब इस ‘सिस्टम के गठजोड़’ पर कार्रवाई करता है या फिर शहर में भवन निर्माण करने वाले  इसी तरह नियमों की धज्जियां उड़ाता रहेगा।

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