बुजुर्ग को 1 किलोवाट कनेक्शन पर आया 99 हज़ार का बिजली बिल, नाम और कनेक्शन नंबर भी बदला!

रिपोर्ट: राहुल पटेल।
~ बिजली विभाग का ‘रफ्तार वाला’ मीटर: बिजली विभाग की गलती या मज़ाक? बुजुर्गों पर पड़ी भारी ‘मेगाबिलिंग’ की मार
~ अजब गजब! बिजली की रफ्तार से भाग रहा मीटर, मई में 7,430 का बिल और जून में सीधा 99,457 रुपये का बिल
~ तुलापट्टी गांव के बुजुर्ग दंपति पर बिजली विभाग की लापरवाही भारी पड़ गई
गाजीपुर के करंडा थाना क्षेत्र के तुलापट्टी गांव में रहने वाले बुजुर्ग दंपति को एक किलोवाट के बिजली कनेक्शन पर जून महीने का बिल लगभग 1 लाख रुपये (99,457 रुपये) आया है। इससे पहले मई महीने में उनका बिल 7,430 रुपये आया था। इस अचानक और अत्यधिक बिल से बुजुर्ग मानसिक रूप से परेशान हैं।
मीटर रीडिंग में गड़बड़ी, शिकायत के बावजूद कोई सुधार नहीं
मई महीने का बिल धीरेंद्र नाथ दुबे के नाम से आया था, जो कि खुद पीड़ित बुजुर्ग हैं। बिल ज्यादा आने पर उन्होंने मीटर रीडर से शिकायत की, जिसे मीटर रीडर ने हल कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन जून महीने का बिल और भी ज्यादा आ गया, साथ ही उस बिल पर उपभोक्ता का नाम ‘देवनाथ’ और कनेक्शन नंबर भी अलग है।
नया मीटर लगने के बाद शुरू हुई समस्या
धीरेंद्र नाथ दुबे ने बताया कि मई महीने से पहले नया मीटर लगाया गया था, तभी से बिजली बिलों में गड़बड़ी आनी शुरू हुई। मई का बिल उनके नाम से था, जबकि जून का बिल उनके मीटर की रीडिंग से तो निकला है, लेकिन उपभोक्ता का नाम और कनेक्शन नंबर किसी और का है। इससे पहले उनके बिजली बिल सही और समय पर आते थे।
बिजली विभाग की लापरवाही और अधिकारियों का दबाव
धीरेंद्र ने बताया कि वे कई बार चोचकपुर विद्युत उपकेंद्र जाकर शिकायत कर चुके हैं, जहां से कहा गया कि उन्हें नंदगंज जाकर एसडीओ से मिलना पड़ेगा। बुजुर्ग के लिए इतनी दूर जाना मुश्किल हो रहा है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ गई है।
अधिकारियों की अनदेखी, फोन कॉल का कोई जवाब नहीं
इस मामले को उजागर करने के लिए अधिशासी अभियंता सैदपुर और अधीक्षण अभियंता गाजीपुर के नंबरों पर कई बार कॉल किए गए, लेकिन दोनों अधिकारियों ने फोन उठाने की जहमत नहीं उठाई।
बिजली विभाग की इस लापरवाही ने एक गरीब और बुजुर्ग परिवार की समस्या को बड़ा रूप दे दिया है। नाम और कनेक्शन नंबर बदलने से बिजली का बिल लाखों में पहुंच गया, जबकि वास्तविक उपभोक्ता की आर्थिक स्थिति सीमित है। बिजली विभाग को जल्द इस मामले की जांच कर उचित समाधान देना चाहिए, ताकि बुजुर्ग को इस मानसिक तनाव से राहत मिल सके।
अब देखना यह होगा कि क्या बुजुर्ग धीरेंद्र नाथ दुबे को न्याय मिलेगा या उन्हें इसी तरह अफसरों के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ेगा?