ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देने वाले लेटे हनुमान — वाराणसी के बाबा अड़गड़नाथ का चमत्कारी इतिहास
रेलवे लाइन तक बदलवा दी थी शक्ति से — आज भी चौबेपुर के बहरामपुर गांव में जमीन में गड़े हैं चिरंजीवी हनुमान जी

Special Report by vishal kumar
वाराणसी/चौबेपुर। जहां एक ओर देश भर में हनुमान जयंती की धूम है, वहीं वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र का बहरामपुर गांव इन दिनों खास श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यहां विराजमान हैं लेटे हुए हनुमान जी, जिन्हें बाबा अड़गड़नाथ के नाम से जाना जाता है। स्थानीय मान्यता है कि बाबा आज भी इसी धरा पर चिरंजीवी रूप में विराजमान हैं।
ब्रिटिश काल में बदली गई थी रेलवे लाइन की दिशा
यह मंदिर न सिर्फ आध्यात्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और चमत्कारी मान्यताओं से भी जुड़ा हुआ है। मंदिर के मुख्य पुजारी पलक यादव बताते हैं कि ब्रिटिश शासनकाल में जब रेलवे लाइन इस मंदिर के पास से गुजारी जा रही थी, तो हर रात बाबा स्वयं पटरी उखाड़कर किनारे रख देते थे। महीनों तक मजदूरों की मेहनत को बाबा ने चुनौती दी, और अंततः अंग्रेज अफसर भी हार मान गए। मजबूरी में उन्हें रेलवे लाइन की दिशा मोड़नी पड़ी।
गहरे श्रद्धा का केंद्र
स्थानीय लोग बताते हैं कि बाबा अड़गड़नाथ प्रयागराज के लेटे हनुमान की तरह ही जमीन में गड़े रूप में विराजमान हैं। इसी वजह से उन्हें “अड़गड़नाथ” कहा जाता है — यानी जो किसी अन्याय या अव्यवस्था को “अड़” कर रोक दें।
आज भी जब मंदिर के पास बड़े पैमाने पर मशीनों से निर्माण कार्य होता है, तो मशीनें स्वतः बंद हो जाती हैं, और मजदूरों को हाथ से कार्य करना पड़ता है। यह चमत्कार नहीं तो और क्या?
सात चिरंजीवी और बाबा का अमरत्व
पुराणों के अनुसार हनुमान जी सात चिरंजीवियों में से एक हैं। माता सीता से प्राप्त वरदान के अनुसार वे कलयुग के अंत तक पृथ्वी पर उपस्थित रहेंगे। बाबा अड़गड़नाथ मंदिर इसी अमरत्व और विश्वास का प्रतीक बन चुका है।
हनुमान जयंती पर उमड़ा आस्था का सैलाब
हनुमान जयंती के पावन अवसर पर पूर्वांचल के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, और लेटे हुए बाबा के दर्शन कर मनोकामना मांगते हैं।
