Ghazipur

भांवरकोल: कभी क्षेत्र का गौरव रहा खरडीहा गाँव आज बदहाल गलियों से परेशान, ग्रामीणों में नाराजगी

ख़बर गाज़ीपुर: राहुल पटेल

 

गाजीपुर/भांवरकोल – गाजीपुर जिले के भांवरकोल विकास खंड का खरडीहा गाँव कभी अपने शैक्षणिक संस्थानों, स्थायी टेलीफोन सेवाओं और सुव्यवस्थित बुनियादी ढांचे के लिए जाना जाता था। इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज, और बीएसएनएल का टावर – इन सबने मिलकर खरडीहा को एक समय पर आसपास के गाँवों में विशेष पहचान दिलाई थी। लेकिन आज वही गाँव बदहाली के दौर से गुजर रहा है, खासकर गलियों की जर्जर हालत को लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी है।

गड्ढों और गंदगी से भरी गलियाँ

खरडीहा की गलियाँ आज टूटी-फूटी, कीचड़ से लथपथ और गंदे पानी से भरी हैं। गलियों में बने गहरे गड्ढों में पानी जमने से एक तरफ जहां मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है, वहीं दूसरी तरफ लोगों का पैदल चलना और वाहन चलाना तक मुश्किल हो गया है।

 

बरसात के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। पानी का निकास न होने के कारण गलियों में जलजमाव हो जाता है, जिससे संक्रामक रोग फैलने का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि गलियों की यह हालत वर्षों से बनी हुई है, लेकिन अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।

“विकसित गाँव” की खोती जा रही पहचान

एक समय था जब क्षेत्र के लोग यह कहते थे –
“स्कूल जाना है? तो खरडीहा।”
“फोन करना है? तो खरडीहा।”

आज वही गाँव सरकारी उपेक्षा और बुनियादी सुविधाओं की कमी का शिकार हो गया है। जहां आसपास के गाँवों में आरसीसी (RCC) सड़कों का निर्माण हो चुका है, वहीं खरडीहा की गलियाँ अभी भी विकास की बाट जोह रही हैं।

 

स्थानीय लोगों की शिकायतें बेअसर

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियों और पंचायत स्तर पर शिकायतें की गईं, लेकिन कोरे आश्वासनों के अलावा अब तक कुछ नहीं मिला। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि गलियों की हालत ऐसी हो गई है कि वे अब मांगलिक कार्यों के आयोजन से भी कतराने लगे हैं।

जरूरत है ठोस पहल की

खरडीहा गाँव की यह हालत यह सोचने पर मजबूर करती है कि विकास सिर्फ कागज़ों तक सीमित है या वाकई ज़मीन पर भी उतर रहा है? अगर एक समय का प्रमुख गाँव आज मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो जाए, तो यह निश्चित ही प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।

ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द गलियों की मरम्मत कर आरसीसी निर्माण कराया जाए, ताकि फिर से खरडीहा गाँव अपनी पुरानी पहचान और गरिमा को वापस पा सके।

 

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