भ्रष्टाचार उजागर करने वाली महिला डिप्टी जेलर को न्याय नहीं, सरकार पर उठे सवाल

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के तमाम दावों के बीच एक महिला डिप्टी जेलर न्याय के लिए भटक रही है। वाराणसी जिला जेल अधीक्षक उमेश सिंह पर भ्रष्टाचार, शोषण और जातिसूचक टिप्पणी के गंभीर आरोप लगने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। सवाल यह उठता है कि आखिरकार उमेश सिंह को सरकार का संरक्षण क्यों मिल रहा है? क्या वह योगी सरकार से भी अधिक प्रभावशाली हैं, या फिर दलित समाज की महिला अधिकारी होने के कारण उनकी आवाज को अनसुना किया जा रहा है?
क्या है पूरा मामला?
वाराणसी जिला जेल की डिप्टी जेलर ने अपने वरिष्ठ अधिकारी उमेश सिंह पर भ्रष्टाचार, शोषण और जातिसूचक गालियों का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उन्होंने जब जेल में हो रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का विरोध किया, तो उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा। उन पर मानसिक दबाव बनाया गया और जातिसूचक टिप्पणियां कर अपमानित किया गया। इसके बावजूद अब तक न तो उमेश सिंह के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई हुई और न ही उन्हें निलंबित किया गया।
भ्रष्टाचार उजागर करने पर मिली सजा?
योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करती है, लेकिन जब एक महिला अधिकारी ने जेल में हो रहे भ्रष्टाचार की परतें खोलीं, तो उन्हें ही न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। सवाल यह है कि जब एक अधिकारी के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम जनता को न्याय मिलने की क्या उम्मीद की जा सकती है?
क्या दलित समाज की आवाज दबाई जा रही है?
इस मामले में जातीय भेदभाव का एंगल भी सामने आ रहा है। पीड़िता दलित समाज से आती हैं और उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया गया। ऐसे मामलों में SC/ST एक्ट के तहत तत्काल मुकदमा दर्ज होना चाहिए था, लेकिन अब तक सिर्फ जांच और आश्वासन का खेल चल रहा है। यह सवाल उठता है कि क्या महिला अधिकारी को सिर्फ इसलिए न्याय नहीं मिल रहा क्योंकि वह दलित समाज से हैं?
सरकार पर उठते सवाल
इस पूरे मामले ने सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
1. महिला अपराध के मामले में मुकदमा दर्ज क्यों नहीं हुआ?
2. SC/ST एक्ट के तहत उमेश सिंह पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
3. क्या सरकार भ्रष्ट अधिकारी को बचाने में लगी है?
4. क्या उमेश सिंह का राजनीतिक रसूख इतना बड़ा है कि सरकार को झुकना पड़ रहा है?
5. योगी सरकार का ‘भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन’ का दावा क्या केवल दिखावा है?
क्या सरकार दोषियों को बचा रही है?
अब तक सरकार और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। महिला डिप्टी जेलर को सिर्फ जांच और आश्वासन देकर टालने की कोशिश की जा रही है। अगर सरकार सच में भ्रष्टाचार और महिला सुरक्षा के प्रति गंभीर है, तो उसे तुरंत कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा यह स्पष्ट हो जाएगा कि सरकार एक भ्रष्ट अधिकारी को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
न्याय की गुहार
पीड़िता लगातार उच्च अधिकारियों और सरकार से न्याय की गुहार लगा रही हैं, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिले हैं। सवाल यह है कि जब एक महिला अधिकारी को न्याय नहीं मिल रहा, तो आम जनता के लिए न्याय की क्या उम्मीद बचती है? सरकार को जल्द से जल्द इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए, अन्यथा जनता को यह मानने में देर नहीं लगेगी कि भ्रष्टाचार और सत्ता की मिलीभगत से न्याय मर चुका है।