मिशन शक्ति: बालिकाओं ने लिंग भेद के खिलाफ निकाली जागरूकता रैली, लड़कियों की घटती जनसंख्या पर जताई चिंता

मो० आरिफ़ अंसारी

~ बालिकाओं ने लिंग भेद के खिलाफ रैली निकाली माँगा बराबरी का हक

~ प्रदेश में हर साल औसतन पौने दो लाख बेटियां गायब हो रही हैं

~ बालिका महोत्सव में लड़कियों की घटती जनसंख्या पर जताई चिंता

 

वाराणसी : लोक समिति और आशा ट्रस्ट के तत्वावधान में मंगलवार को मिर्जामुराद में लड़कियों ने लिंग भेद के खिलाफ एक जागरूकता रैली का आयोजन किया। रैली में शामिल सैकड़ों किशोरियों ने “नहीं किसी का हो अपमान, लड़का-लड़की एक समान”, “बाबा हमको पढ़ने दो, पढ़कर आगे बढ़ने दो”, “कन्या भ्रूण हत्या बंद करो”, “बाल विवाह पर रोक लगाओ” जैसे नारे लगाते हुए रैली निकाली।

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रैली मिर्जामुराद बाजार से श्यामा माता मंदिर तक निकाली गई, जहां बालिका महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सीताराम हॉस्पिटल के प्रबंधक अनील चौबे, लोक समिति के संयोजक नंदलाल मास्टर, जोगापुर ग्राम प्रधान चंद्रभूषण और सामाजिक कार्यकर्ता मनोज यादव ने दीप जलाकर किया।

 

कार्यक्रम में लड़कियों ने लिंग भेदभाव और लड़का-लड़की असमानता पर विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं और लैंगिक असमानता के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए। मिर्जामुराद और आसपास के कई गाँवों की लड़कियों ने इस महोत्सव में भाग लिया।

मिशनशक्ति अभियान से आई अनुजा गोस्वामी और सोनी कौशधल ने 102, 108, 1090 जैसी हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी दी। मुख्य अतिथि अनील चौबे ने कहा, “हमारा समाज आज भी लड़कियों और लड़कों में भेदभाव कर रहा है। हर साल औसतन पौने दो लाख बेटियाँ गायब हो रही हैं, जो चिंता का विषय है।”

लोक समिति के संयोजक नंदलाल मास्टर ने बताया कि किशोरी संगठनों ने दहेज, बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या और महिला हिंसा के खिलाफ जन जागरुकता अभियान चलाने के लिए लड़कियों की टोली गठित की जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज ने कहा कि समाज में खुशहाली लाने के लिए महिलाओं के खिलाफ हर तरह के भेदभाव के खिलाफ आवाज उठानी होगी।

कार्यक्रम का संचालन आशा रानी और विमला ने किया, जबकि स्वागत राजकुमारी पटेल और धन्यवाद ज्ञापन सोन ने दिया। कार्यक्रम में कई स्थानीय प्रतिभागियों ने अपने विचार रखे, जिनमें प्रिंसी, अंजली, ज्योति, सुनील, नरगिस, और अन्य शामिल थे।

इस प्रकार, इस जागरूकता रैली ने समाज में लिंग भेद के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजा और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता का प्रतीक बनी।

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