मैं जिंदा हूं: PM Modi के आगमन पर संतोष मूरत सिंह हाथ में चलनी लेकर पहुंचे कचहरी, गिरफ्तार

मनीष जायसवाल

वाराणसी: प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में प्रधानमंत्री के आगमन के समय एक अनोखा और विचित्र मामला सामने आया है। जहां संतोष मूरत नामक व्यक्ति पिछले 20 वर्षों से सरकारी अभिलेखों में ज़िंदा होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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संतोष ग्राम छितौनी, जिला वाराणसी के निवासी हैं, ने अपने आप को ज़िंदा साबित करने के लिए एक अलग ही तरीका अपनाया। उन्होंने अपने हाथ में एक चलनी लेकर कचहरी पहुंचे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री को देखने की कोशिश की। उनका मानना था कि यदि वे प्रधानमंत्री को चलनी में दिखा पाते हैं, तो इससे उन्हें जीवित साबित करने में मदद मिलेगी।

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ऐसा करता देख स्थानीय कैण्ट पुलिस ने संतोष को पकड़कर थाने में नजरबंद कर दिया। पुलिस का कहना है कि संतोष का यह कदम प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में अशांति फैल सकती थी। यह घटना जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो लोगों में तरह-तरह की चर्चा होने लगी, संतोष मूरत समय समय पर अपने अपनो ज़िंदा साबित करने के लिए अजीबोगरीब प्रयास करते रहते हैं।

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संतोष ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे अब तक 108 बार जेल जा चुके हैं। उनका यह संघर्ष न्यायिक प्रणाली की जटिलताओं और सरकारी व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है। उन्होंने कहा, “मैंने हर संभव कोशिश की है, लेकिन हर बार मुझे निराशा ही हाथ लगी है।”

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इस मामले ने कई सवाल उठते हैं, विशेष रूप से न्यायिक प्रणाली की आवश्यकता और कार्यप्रणाली पर। कानूनी प्रक्रिया इतनी जटिल हो गई है कि एक व्यक्ति को अपनी जीवितता साबित करने के लिए ऐसे अजीब कदम उठाने पड़ रहे हैं। संतोष के मामले ने यह भी स्पष्ट किया है कि नागरिकों को अपने अधिकारों को साबित करने के लिए कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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वहीं, स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह मामला समाज के लिए एक चेतावनी है, कि हमें अपने अधिकारों के लिए सतर्क रहना होगा और न्यायिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। संतोष का यह संघर्ष न केवल उनके लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है।

इस स्थिति को देखते हुए, यह आवश्यक है कि संबंधित विभाग संतोष जैसे मामलों पर ध्यान दें और न्यायिक प्रणाली को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाएं, ताकि नागरिकों को अपनी पहचान और जीवितता साबित करने के लिए इतनी कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

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