राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन का शुभारंभ, गृह मंत्री ने दिए आतंकी नेटवर्क पर सख्त निर्देश
देशभर के 800 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी, एनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन से लेकर नार्को नेटवर्क तक गहराई से हुई चर्चा

रिपोर्ट: श्रुति।
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दो दिवसीय आठवें राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन–2025 का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन हाइब्रिड (फिजिकल व वर्चुअल) प्रारूप में आयोजित हुआ, जिसमें देशभर से लगभग 800 वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन की शुरुआत से पहले श्री शाह ने शहीद स्तम्भ पर पुष्प अर्पित कर उन आईबी अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा हेतु प्राणों की आहुति दी।
दिल्ली में आयोजित इस मुख्य सत्र में केंद्रीय गृह सचिव, उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, CAPFs और CPOs के प्रमुख शामिल हुए। वहीं, राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक, युवा पुलिस अधिकारी और विभिन्न डोमेन विशेषज्ञ वर्चुअल माध्यम से इस संवाद का हिस्सा बने।
सम्मेलन के पहले दिन राष्ट्रविरोधी तत्वों और उनके घरेलू नेटवर्क, नार्को-तस्करी, एनक्रिप्टेड ऐप्स के ज़रिए अवैध संवाद, भीड़ प्रबंधन तकनीक और निर्जन द्वीपों की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। आतंकवाद के वित्तपोषण और उसके तरीकों की पहचान को लेकर भी एजेंसियों को सतर्क रहने और वित्तीय अनियमितताओं के विश्लेषण के ज़रिए आतंकी मॉड्यूल को उजागर करने के निर्देश दिए गए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकी गतिविधियों और तस्करी में शामिल देश से फरार भगोड़ों को वापस लाने के लिए केंद्रीय और राज्य एजेंसियों को समन्वय स्थापित करते हुए ठोस कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने कहा कि देश के अंदर मौजूद आतंकी नेटवर्क के घरेलू नोड्स को ध्वस्त करने की रणनीति को पुनः परिभाषित किया जाए और encrypted communication से निपटने के लिए सभी हितधारकों के बीच एक साझा मंच बनाया जाए।
सम्मेलन के दूसरे दिन नागरिक उड्डयन और बंदरगाह सुरक्षा, वामपंथी उग्रवाद, नार्को तस्करी और counter-terrorism जैसे प्रमुख मुद्दों पर विचार किया जाएगा। इस वार्षिक सम्मेलन की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2016 के DGsP/IGsP सम्मेलन में रखी गई थी। प्रधानमंत्री के निर्देशों के तहत, 2021 से इसे हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया जा रहा है ताकि अधिकाधिक अधिकारियों की सहभागिता सुनिश्चित हो सके।