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लखनऊ में युद्ध जैसे हालात की तैयारी: सायरन बजते ही लोग जमीन पर लेटे, यूपी के 19 जिलों में होगी मॉक ड्रिल

1971 के बाद पहली बार इस स्तर की मॉक ड्रिल, DGP बोले- "संवेदनशील इलाकों को किया गया अलर्ट"

रिपोर्ट: श्रुति सूर्यवंशी 

वाराणसी। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच यूपी की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को युद्ध जैसी स्थितियों से निपटने की रिहर्सल की गई। पुलिस लाइंस में सायरन बजते ही सिविल डिफेंस की मॉक ड्रिल शुरू हुई। जैसे ही अलर्ट मिला, लोग जमीन पर लेट गए और अपने कान ढक लिए। पूरे घटनाक्रम को बेहद गंभीरता से अंजाम दिया गया।

ड्रिल के दौरान आम लोगों को सिखाया गया कि अगर गोली चलने या बम धमाके जैसे हालात बनते हैं, तो किस तरह खुद को सुरक्षित रखा जाए। साथ ही, आग लगने पर फायर फाइटिंग, घायलों को स्ट्रेचर से निकालना और अस्पताल पहुंचाना जैसी रियल टाइम ट्रेनिंग भी दी गई।

मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजते ही फर्श पर लेट गए लोग।

यूपी के 19 जिलों में दी जाएगी युद्ध से बचने की ट्रेनिंग:

 DGP प्रशांत कुमार ने बताया कि 7 मई को प्रदेश के 19 जिलों में एक साथ मॉक ड्रिल की जाएगी। इनमें लखनऊ, कानपुर, मथुरा, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज जैसे बड़े शहर शामिल हैं।

कैसे बाँटे गए जिले:

राज्य के ज़िलों को सुरक्षा के लिहाज से तीन कैटेगरी में रखा गया है।

कैटेगरी 1: सबसे संवेदनशील ज़िले — इसमें केवल बुलंदशहर शामिल है, जहां नरौरा न्यूक्लियर प्लांट स्थित है।

कैटेगरी 2: लखनऊ, आगरा, कानपुर, गोरखपुर, मेरठ, वाराणसी जैसे महत्वपूर्ण जिले।

कैटेगरी 3: बागपत और मुज़फ्फरनगर जैसे अपेक्षाकृत कम संवेदनशील इलाके।

मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा, “आतंकी हमलों के बाद जनता में सुरक्षा को लेकर चिंता है। मॉक ड्रिल उन्हें जागरूक और तैयार करने का माध्यम है।”

मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति है। देशहित सर्वोपरि है।”

पिछली बार कब हुई थी ऐसी ड्रिल?

देश में आखिरी बार इस स्तर की मॉक ड्रिल 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान की गई थी। तब भी नागरिक सुरक्षा को लेकर केंद्र ने बड़े स्तर पर ड्रिल कराई थी।

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