Varanasi

लोलार्क कुंड में उमड़ा आस्था का सैलाब, संतान सुख की कामना में हजारों ने लगाई डुबकी

अजय त्रिपाठी, वाराणसी

 

वाराणसी, 29 अगस्त 2025: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में शनिवार को लोलार्क षष्ठी के अवसर पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भोर से ही देश के कोने-कोने से आए हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र लोलार्क कुंड में डुबकी लगाकर संतान सुख की कामना की। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर इस कुंड में स्नान करने से निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है, साथ ही चर्म रोगों से भी मुक्ति मिलती है।

*आस्था और परंपरा का अनूठा संगम*
लोलार्क कुंड, जिसे सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है, काशी के प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है। मान्यता है कि भगवान सूर्य ने यहां तपस्या की थी और उनके रथ का पहिया फंसने से इस कुंड का निर्माण हुआ। यह भी कहा जाता है कि 9वीं शताब्दी में गढ़वाल नरेश ने अपनी सात रानियों के साथ इस कुंड में स्नान किया था, जिसके बाद उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ। तब से यह कुंड संतान प्राप्ति की कामना के लिए प्रसिद्ध है।

शनिवार को कुंड में स्नान की शुरुआत 51 डमरुओं की गूंज के साथ आरती से हुई। इसके बाद श्रद्धालुओं को चरणबद्ध तरीके से स्नान की अनुमति दी गई। परंपरा के अनुसार, स्नान के बाद दंपतियों ने लोलार्केश्वर महादेव की पूजा की और एक फल या सब्जी का दान किया। मान्यता है कि जब तक मनोकामना पूरी न हो, तब तक उस फल का सेवन नहीं करना चाहिए। स्नान के बाद कई श्रद्धालुओं ने अपने भीगे कपड़े भी कुंड पर छोड़ दिए।

*सुरक्षा और व्यवस्था के कड़े इंतजाम*
लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के लिए व्यापक प्रबंध किए। करीब 5 किलोमीटर लंबी बैरिकेडिंग की गई और 11 सहायक पुलिस आयुक्त (ACP), 1200 पुलिस जवान, और NDRF की टीमें तैनात की गईं। ड्रोन के जरिए भी निगरानी रखी गई। पेयजल, बिजली, और अन्य सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया ताकि श्रद्धालुओं को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।

*लोलार्क कुंड की महत्ता*
लोलार्क कुंड, जो 50 फीट गहरा और 15 फीट चौड़ा है, काशी के लक्खा मेले का हिस्सा माना जाता है। यहां स्नान करने की परंपरा न केवल संतान प्राप्ति से जुड़ी है, बल्कि यह आध्यात्मिक शांति और रोगमुक्ति का भी प्रतीक है। इस अवसर पर बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बंगाल, और नेपाल से भी श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर के प्रधान पुजारी रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि इस वर्ष करीब 4 से 5 लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान है।

लोलार्क षष्ठी का यह पर्व काशी की सनातन परंपरा और आस्था का जीवंत उदाहरण है, जो हर साल लाखों लोगों को एकजुट करता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि काशी की सांस्कृतिक विरासत को भी उजागर करता है।

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