वाराणसी: भगत सिंह की 117वीं जयंती पर “लोकतंत्र की चुनौतियों एवं नए भारत का निर्माण” विषय पर सेमिनार का आयोजन

~ लोकतंत्र आईसीयू , संस्थाएं और समाज बीमार: रूपरेखा

~ तीन नये कानून लोकतंत्र विरोधी: सीमा आजाद

 

वाराणसी : नागरिक समाज वाराणसी द्वारा भगत सिंह की 117वीं जयंती पर “लोकतंत्र की चुनौतियां एवं नए भारत का निर्माण” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पराड़कर भवन, मैदागिन में हुआ, जिसमें विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, और राजनीतिक नेता शामिल हुए।

सेमिनार की शुरुआत जनगीतकार युद्धेश के जोशीले गीतों “मिल जुल गड़े चला नया हिंदुस्तान” और “ये ताना बाना बदलेगा” के साथ हुई, जिसने उपस्थित लोगों के बीच उत्साह का माहौल बनाया। इसके बाद, प्रज्ञा जी ने पितृसत्ता पर एक प्रभावशाली नाटक प्रस्तुत किया, जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया।

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कार्यक्रम का संचालन विनय ने किया, और कार्यक्रम की शुरुवात ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट वी० के० सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में घरेलू कामगार महिलाएं, बीएचयू के प्रोफेसर, बुनकर समाज के सदस्य, किसान नेता, और ट्रेड यूनियन नेता शामिल थे। वी के सिंह ने कहा कि यह देश और समय फासीवादियों का नहीं है, बल्कि मेहनतकश तबके का है। उन्होंने उम्मीद जताई कि फासीवाद चाहे कितना भी बढ़ जाए, लड़ने वाले हमेशा मौजूद रहेंगे।

मुख्य वक्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो० रूप रेखा वर्मा ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि बुल्डोजर राज में 90 प्रतिशत घर मुसलमानों के गिराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार बांटने वाली है, जो मुस्लिम समुदाय को भी शिया और सुन्नी के आधार पर बांट रही है। उन्होंने बीएचयू में आईआईटी के रेप मामले में धरने की सराहना की, लेकिन कहा कि उसके बाद आंदोलनकारियों पर केस दर्ज किया गया, जो लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।

प्रो वर्मा ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र की आत्मा जनता में निहित है। उन्होंने कहा कि जब तक लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ने का साहस नहीं करेंगे, तब तक लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में आलोचना करने पर देशद्रोह का आरोप लगाया जा रहा है, और लोकतंत्र इस समय ICU में है।

विशिष्ट वक्ता के रूप में पीयूसीएल की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सीमा आज़ाद ने कहा कि आज लोकतंत्र के सभी स्तंभ कमजोर हो चुके हैं। न्यायपालिका भी अब सुरक्षित नहीं है। उन्होंने लखनऊ एनआईए कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि ये मुस्लिम विरोधी और जनता विरोधी हैं। सीमा आज़ाद ने लिंचिंग की घटनाओं और पुलिस-सरकार की भूमिका पर भी चर्चा की, यह बताते हुए कि फासीवाद केवल सत्ता का एक चेहरा नहीं है, बल्कि जनता को आपस में लड़ाने का कार्य करता है।

अध्यक्षता करते हुए डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि नया भारत कैसे बनाया जाएगा, इस पर स्पष्टता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोक की भूमिका खत्म की जा रही है और वैज्ञानिक चेतना को नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने सभी को एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में वाराणसी सहित पूर्वांचल के अन्य जिलों के शिक्षाविद, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता और चिंतक मौजूद रहे।

इस प्रकार, सेमिनार ने न केवल भगत सिंह की जयंती का आयोजन किया, बल्कि समाज में लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर भी गहन चर्चा की।

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