वाराणसी में चैत्र नवरात्र की धूम, माता शैलपुत्री के दर्शन को उमड़ा भक्तों का सैलाब

रिपोर्ट: वीरेंद्र पटेल, वाराणसी
वाराणसी। चैत्र नवरात्र के पहले दिन धर्मनगरी काशी में श्रद्धालुओं का सैलाब माता शैलपुत्री देवी के दरबार में उमड़ पड़ा। वरुणा नदी के तट पर स्थित अलईपुर में विराजमान माता के प्राचीन मंदिर में भक्तों का तांता देर रात से ही लगा रहा। जैसे ही मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट खुले, पूरा परिसर माता के जयकारों से गूंज उठा।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, महिला-पुरुष पुलिस बल तैनात
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए वाराणसी पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों में महिला और पुरुष पुलिस जवानों को तैनात किया गया है ताकि भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनों ने की प्रार्थना
माना जाता है कि माता शैलपुत्री यहां स्वयं विराजमान हैं और नवरात्र के दौरान भक्तों को साक्षात दर्शन देती हैं।
- सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए माता को चुनरी और गुड़हल का फूल अर्पित करती हैं।
- लाल फूल, नारियल चढ़ाकर और महाआरती में शामिल होकर दांपत्य जीवन की सुख-शांति की प्रार्थना करती हैं।
शैलराज हिमालय ने कराया था मंदिर का निर्माण
मंदिर के पुजारी जीत कुमार तिवारी के अनुसार, काशी खंड में इस मंदिर का विस्तृत वर्णन मिलता है।
- मान्यता है कि जब भगवान शिव माता शैलपुत्री से विवाह कर काशी आए तो हिमालय राजा ने सोचा कि शिवजी अघोरी हैं, उनके पास कुछ नहीं होगा।
- जब वे काशी पहुंचे, तो सोने की नगरी देखकर उन्हें ग्लानि हुई और वे वरुणा तट पर बैठ गए।
- उसी स्थान पर उन्होंने माता शैलपुत्री का भव्य मंदिर बनवाया, जिसे देखने खुद भगवान शिव माता के साथ पहुंचे।
तब से लेकर आज तक माता शैलपुत्री यहां विराजमान हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।