Varanasi

वाराणसी में बौद्ध चेतना की हुंकार: बौद्ध गया मुक्ति आंदोलन यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से शास्त्री घाट तक निकली ऐतिहासिक यात्रा, सामाजिक न्याय और बाबा साहब के विचारों के प्रचार का संकल्प 

रिपोर्ट – विशाल कुमार।

 

वाराणसी। सामाजिक चेतना और बौद्ध मूल्यों की पुनर्स्थापना को लेकर वाराणसी में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से लेकर शास्त्री घाट तक बौद्ध गया मुक्ति आंदोलन यात्रा का भव्य आयोजन हुआ, जिसका नेतृत्व भीम आर्मी जय भीम संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजीत सिंह नौटियाल ने किया। सैकड़ों की संख्या में आंदोलनकारियों ने इसमें भाग लिया और बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का समापन किया।

यह आंदोलन महाबोधि महाविहार, बौद्धगया की प्रेरणा से शुरू हुआ है, जिसका मूल उद्देश्य सामाजिक न्याय, सांस्कृतिक जागरूकता और ऐतिहासिक बौद्धिक विरासत की पुनर्प्राप्ति है। यह यात्रा मंडल भदोही से प्रारंभ होकर वाराणसी पहुंची, जहां शहर के विभिन्न इलाकों से बड़ी संख्या में युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्ध अनुयायियों ने भाग लिया।

यात्रा के समापन पर आयोजित सभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजीत सिंह नौटियाल ने कहा,

बाबा साहब ने हमें संविधान दिया, विचार दिए, चेतना दी – अब हमारा दायित्व है कि उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। यह आंदोलन केवल एक यात्रा नहीं, यह हमारी अस्मिता, अधिकार और आत्मसम्मान की यात्रा है।”

उन्होंने बताया कि यह यात्रा चरणबद्ध तरीके से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित की जाएगी और इसका अंतिम पड़ाव मुजफ्फरनगर होगा। यात्रा के दौरान बौद्ध धम्म के मूल सिद्धांतों, पंचशील और अष्टांग मार्ग पर चर्चा की गई, साथ ही समाज में समरसता और करुणा का संदेश दिया गया।

यात्रा पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासित रही, जिससे स्थानीय लोगों में भी सकारात्मक संदेश गया। कार्यक्रम में पूर्वांचल अध्यक्ष जयनन्द ज्योति भास्कर, आदर्श गौतम,एडवोकेट इंद्रसेन गौतम, एडवोकेट उमेश गौतम, इंजीनियर गौरव सिंह पटेल, दिशान अहमद, नितीश भारद्वाज, ऋषभ कुमार, अभिषेक कनौजिया, राहुल कुमार, हिमांशु गौतम, राहुल भारद्वाज, मोहित चौधरी, करन सोनकर, विपिन सोनकर, विशाल गुप्ता, नवीनत सोनकर सहित सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।

इस आयोजन ने वाराणसी में बौद्ध नवजागरण की एक नई चेतना को जन्म दिया है, जो आने वाले समय में सामाजिक बदलाव की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है।

 

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