वाराणसी में वरुणा नदी पुनरुद्धार पर बैठक, गंगा के निर्मलीकरण को लेकर महत्वपूर्ण विचार साझा
मो० आरिफ़ अंसारी
~ वरुणा नदी की दुर्दशा पर व्यक्त की गयी चिंता
~ जन सहभागिता और प्रशासनिक इच्छाशक्ति से ही वरुण का पुनरुद्धार संभव
~ साझा संस्कृति मंच, प्रौद्योगिकी संस्थानों के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक
वाराणसी। गंगा के निर्मलीकरण और अविरल प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए उसकी सहायक नदियों का पुनरुद्धार अनिवार्य है। खासकर वरुणा और असि नदियों को पुनर्जीवित किए बिना गंगा के जल की शुद्धता और प्रवाह बनाए रखना संभव नहीं होगा। यह विचार रविवार को वाराणसी के नदेसर स्थित साझा संस्कृति मंच के कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में व्यक्त किए गए।
बैठक का मुख्य उद्देश्य वरुणा नदी के पुनरुद्धार की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा करना था। इस अवसर पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई, आईआईटी काशी हिंदू विश्वविद्यालय और पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट देहरादून के विशेषज्ञों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं, स्थानीय नागरिकों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार साझा किए। बैठक से पूर्व, नदी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने शास्त्री घाट पर वरुणा नदी की वर्तमान स्थिति का अवलोकन भी किया।
वक्ताओं ने सुझाव दिया कि वरुणा नदी में गिर रहे मल जल और कचरे को पूरी तरह से रोका जाए। इसके अतिरिक्त, नदी के उद्गम से लेकर संगम तक दोनों किनारों पर सघन हरित पट्टी विकसित की जाए और शारदा सहायक से नदी को अधिक जल उपलब्ध कराया जाए। साथ ही, नदी किनारे के जल स्रोतों जैसे तालाब, पोखर और कूपों को पुनर्जीवित करना, वर्षा जल का अधिकतम संचय करना आदि कदम भी उठाए जाने चाहिए।
बैठक में आईआईटी मुंबई के प्रो. ओम दामानी, आईआईटी बीएचयू के प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र, पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट देहरादून के प्रो. अनिल गौतम, और साझा संस्कृति मंच के संयोजक फादर आनंद सहित वरुणा नदी संवाद यात्रा के संयोजक राम जी यादव, डॉ. मोहम्मद आरिफ, फादर दयाकर, रवि शेखर, सतीश सिंह जैसे प्रमुख कार्यकर्ताओं ने विचार व्यक्त किए।
बैठक का संचालन वल्लभाचार्य पांडेय ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन फादर प्रवीण ने किया। इस बैठक ने यह स्पष्ट किया कि गंगा के निर्मलीकरण की दिशा में वरुणा और असि नदियों का पुनरुद्धार अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसके लिए जनसहभागिता और प्रशासनिक सहयोग की आवश्यकता है।