वाराणसी में साइबर कैफे द्वारा बनाया जा रहा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, जानिए क्या है इसका खेल

वाराणसी: जन्म प्रमाण पत्र के नाम पर साइबर कैफे द्वारा फर्जी दस्तावेज बनाए जाने का एक अजीबो ग़रीब मामला सामने आया है, जो बच्चों के आधार कार्ड बनवाने के लिए बड़ी समस्या बनता जा रहा है।
वाराणसी के लोहता थाना क्षेत्र के अयोध्यापुर ग्राम में ‘ए के कंप्यूटर’ नामक एक साइबर कैफे पर ऐसे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाये जा रहे हैं, जिनकी वैधता केवल एक महीने की होती है।
जानकारी के अनुसार, ऐसे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र पर एक QR कोड लगा होता है, जिसे स्कैन करने पर पहली बार में प्रमाण पत्र की जानकारी दिखती है, लेकिन एक महीने के बाद उस QR कोड से कोई डेटा प्राप्त नहीं होता, जिससे प्रमाण पत्र फर्जी साबित हो जाता है।
एक स्थानीय निवासी ने बताया कि उसने इसी साइबर कैफे से बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र बनवाया था, जो बाद में आधार कार्ड बनवाने के लिए इस्तेमाल किया गया। लेकिन जब वह एक महीने बाद आधार केंद्र गया, तो पता चला कि उसका दिया गया प्रमाण पत्र नकली है। जब उन्होंने साइबर कैफे के संचालक से बात की तो उसने इधर-उधर की बातें करते हुए नए फर्जी प्रमाण पत्र का वादा किया।
सरकारी दस्तावेजों के साथ हो रहे इस तरह के खेल ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे फर्जी दस्तावेज न केवल आम नागरिकों को धोखा देते हैं बल्कि अवैध रूप से पहचान बनाकर रहने वालों के लिए भी रास्ता खोल देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के दस्तावेजों की भरमार के कारण भारत में अवैध तरीके से रहने वाले विदेशी नागरिकों की संख्या बढ़ रही है, जिससे सरकार के लिए पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।
साइबर कैफे संचालक एक जन्म प्रमाण पत्र के लिए मात्र 350 रुपए लेते हैं, जिससे अभिभावकों को लगता है कि वे अपने बच्चों का आधार कार्ड आसानी से बनवा पाएंगे। लेकिन वास्तविकता में यह प्रमाण पत्र फर्जी होता है, जिसके कारण आधार बनवाने में भारी मुश्किलें आती हैं।
आधार कार्ड बनवाने के लिए पहले ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेना होता है, फिर सेंटर पर जाकर लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता है, और जब दस्तावेजों की जांच होती है तो फर्जी प्रमाण पत्र पकड़ में आ जाता है। इसके बाद साइबर कैफे संचालक से संपर्क करने पर वे या तो टालमटोल करते हैं या फिर वादा करते हैं कि नया फर्जी दस्तावेज बना देंगे।
सरकारी स्तर पर आधार फर्जीवाड़े को रोकने के लिए आधार केंद्रों की संख्या कम की गई है। वाराणसी में अब केवल एक या दो केंद्रों पर ही नया आधार कार्ड बनवाया जा सकता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब साइबर कैफे वाले फर्जी दस्तावेज बनाकर आधार कार्ड दिला रहे हैं, तो सरकार की इस दिशा में उठाई गई कार्रवाई कितनी कारगर साबित होगी।
यह मामला सुरक्षा और पहचान से जुड़ी गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है, जिसमें ठोस और प्रभावी कदम उठाने की सख्त जरूरत है ताकि फर्जीवाड़े को रोका जा सके और आम जनता को सही और विश्वसनीय दस्तावेज उपलब्ध हो सकें।
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