Varanasi

वाराणसी VDA में खुलेआम ‘पैसे का खेला’: सुपरवाइजर मुरलीधर पर रिश्वत लेने का आरोप, तस्वीरें बनी सबूत

भाजपा सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति हो रही है फेल, वीडीए में सिर्फ पैसे का हो रहा है खेल

ख़बर भारत, डेस्क

वाराणसी। एक ओर प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र स्मार्ट सिटी बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) में भ्रष्टाचार का जाल और भी गहरा होता जा रहा है। अब एक नया मामला सामने आया है जिसमें सारनाथ क्षेत्र के सुपरवाइजर मुरलीधर पर जबरन पैसे वसूलने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता ने पैसे लेते हुए मुरलीधर की तस्वीर भी VDA अधिकारियों को सौंपी है।

पैसे दो, काम लो – न दो तो नोटिस-सीलिंग का डर

शिकायतकर्ता का साफ आरोप है कि मुरलीधर ने उनसे जबरन पैसे वसूले और धमकाया कि अगर पैसा नहीं दिया गया, तो निर्माण कार्य पर रोक लग जाएगी।
यह घटना अकेली नहीं है — इससे पहले भी सिकरौल वार्ड के सुपरवाइजर शिव पूजन मिश्रा का एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें उसने एक व्यक्ति से ₹40,000 की मांग की थी और अपने JE रोहित कुमार और जोनल अधिकारी शिवाजी मिश्रा को भी “हिस्सेदार” बताया था। उस प्रकरण में VDA उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए शिव पूजन को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की थी।

“ऊपर तक जाता है पैसा” – वायरल ऑडियो में बड़ा खुलासा

इसके बाद एक और सनसनीखेज ऑडियो वायरल हुआ जिसमें जोनल अधिकारी शिवाजी मिश्रा ने खुलकर कहा कि “काम पैसे के बिना नहीं होता, ऊपर तक देना होता है… सिस्टम में आ जाए तो कुछ नहीं हो पाएगा।” यह बयान न केवल अफसरों की संलिप्तता दर्शाता है, बल्कि एक सुनियोजित वसूली तंत्र की ओर इशारा करता है।

कागज़ पर कार्रवाई, मगर हकीकत में दिखावा?

हाल ही में तीन कर्मचारियों को पकड़ा गया, परंतु स्थानीय लोगों का मानना है कि ये सिर्फ ‘बलि के बकरे’ हैं। असली गुनहगार — यानी बड़े अधिकारी — अब भी सुरक्षित हैं।
प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि जो फाइल रिश्वत के बिना चलानी हो, वो महीनों लटकी रहती है, लेकिन जैसे ही “तेज पैसा” पहुँचता है, न केवल फाइल उड़ती है, बल्कि अवैध निर्माण तक वैध कर दिए जाते हैं। जैसा कि पिछले कुछ सालों में VDA से कुछ दूरी पर ही लबे सड़क अर्दली बाजार में जो निर्माण हुए सब मानक के विपरीत हुए लेकिन पैसा लेकर अधिकारियों ने आंखे बंद कर ली।

“जो पैसा दे, उसका अवैध नक्शा भी पास हो जाता है; जो न दे, उसे नोटिस या सीलिंग का डर दिखाया जाता है।”

जोनवार तय रेट से चल रहा है खेल

VDA के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो हर जोन में तय रेट है — नक्शा पास कराने से लेकर कंप्लीशन सर्टिफिकेट तक। इसमें सुपरवाइजर, JE, जोनल अधिकारी से लेकर ऊपर तक हिस्सेदारी तय है।
इस सुनियोजित तंत्र ने पूरे सिस्टम को “सेटिंग और पैसे” का गुलाम बना दिया है। इस ऐतिहासिक नगरी का वास्तविक विकास नहीं, केवल अवैध निर्माण और जबरन वसूली फल-फूल रही है।

क्या केवल नीचे वालों पर कार्रवाई से होगा सुधार?

बार-बार यही देखने को मिला है कि जब भ्रष्टाचार की परत खुलती है, तो नीचे स्तर के कर्मचारी निलंबित कर दिए जाते हैं, लेकिन जिनके इशारे पर पूरा खेल होता है — वो बड़े अधिकारी अब भी कुर्सियों पर विराजमान हैं।

जनहित की मांग: CBI या स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए सरकार

वर्तमान हालात को देखते हुए नागरिक संगठनों और जागरूक जनों की मांग है कि VDA में व्याप्त व्यवस्थित भ्रष्टाचार की CBI या स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए। केवल तब ही यह तय होगा कि कौन “हिस्सेदार” है और कौन “खिलाड़ी”।

वाराणसी विकास प्राधिकरण में एक के बाद एक सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों ने साफ कर दिया है कि सुधार केवल दिखावटी कार्रवाई से नहीं होगा। जब तक उपर के स्तर पर कठोर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक यह ऐतिहासिक शहर कागज़ों में ही स्मार्ट बनता रहेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button