व्यापारी पर हमला व लूट: गंभीर मुकदमा, बदमाशों पर हल्की कार्रवाई, पीड़ित ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
वाराणसी के जंसा थानांतर्गत चौखंडी रेलवे क्रॉसिंग पर व्यापारी पर हमले का मामला, व्यापारी पर जानलेवा हमला व लूट के गंभीर मुकदमे में बदमाशों पर केवल शांतिभंग की कार्रवाई, पीड़ित ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप

नीरज सिंह, वाराणसी
वाराणसी कमिश्नरेट के थाना जंसा क्षेत्रान्तर्गत चौखंडी रेलवे क्रॉसिंग के पास 11 जून 2025 को एक व्यापारी पर हुए जानलेवा हमले के मामले ने स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों और पीड़ित के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में भ्रष्टाचार का सहारा लेते हुए चार नामजद आरोपियों को गंभीर धाराओं के बजाय मामूली शांति भंग की धारा में चालान कर रिहा कर दिया। साथ ही, पुलिस द्वारा जारी प्रेस रिलीज को झूठा और भ्रामक बताया जा रहा है।
घटना का विवरण: व्यापारी पर जानलेवा हमला
11 जून 2025 को चौखंडी रेलवे क्रॉसिंग के पास व्यापारी राकेश कुमार मिश्रा अपने मालवाहक वाहन के साथ मौजूद थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुछ मनबढ़ युवक, जो शराब के नशे में थे, आपस में विवाद करने के बाद व्यापारी से उलझ गए। विवाद बढ़ने पर इन युवकों ने राकेश पर जानलेवा हमला कर दिया, उनमे से एक बदमाश ने व्यापारी का बैग छीन कर फरार हो गया, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों की मदद से मौके से चार आरोपियों को पकड़ा गया। पीड़ित ने आरोप लगाया कि हमले के दौरान उनके पास जो बैग मौजूद था, उसमे कलेक्शन के लगभग दो लाख रुपये थे।
पुलिस की कार्रवाई: गंभीर आरोपों के बावजूद शांतिभंग जैसे मामूली धारा में चालान
स्थानीय लोगों की सक्रियता के कारण चार नामजद आरोपियों को मौके पर पकड़े जाने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। शुरुआत में हमले और लूट जैसे गंभीर आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज होने की बात सामने आई थी। हालांकि, पुलिस ने बाद में दावा किया कि यह मात्र एक “सामान्य मारपीट” की घटना थी। पुलिस की प्रेस रिलीज में कहा गया कि सीसीटीवी फुटेज, गवाहों के बयान, और साक्ष्यों के आधार पर लूट का कोई सबूत नहीं मिला। इसके आधार पर चारों आरोपियों को केवल *शांति भंग* की मामूली धारा में चालान कर रिहा कर दिया गया।
स्थानीय लोगों का गुस्सा: पुलिस पर गंभीर का आरोप
इस कार्रवाई से स्थानीय लोग और पीड़ित के परिजन आक्रोशित हैं। उनका आरोप है कि पुलिस ने पैसे लेकर आरोपियों को बचाने का काम किया है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, “हमने अपनी आंखों से देखा कि व्यापारी को पीटा गया और उनका बैग छीना गया। फिर भी पुलिस ने मामूली धारा लगाकर बदमाशों को छोड़ दिया। यह साफ़ तौर पर भ्रष्टाचार है।” लोगों का यह भी कहना है कि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और साक्ष्यों की जांच में पारदर्शिता नहीं बरती।
पुलिस की प्रेस रिलीज: सच्चाई या झूठ?
पुलिस उपायुक्त, गोमती ज़ोन, वाराणसी की ओर से जारी प्रेस रिलीज में दावा किया गया है कि जांच में लूट का कोई सबूत नहीं मिला और यह केवल मारपीट का मामला है। प्रेस रिलीज में कहा गया, “घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयानों के आधार पर लूट का आरोप असत्य पाया गया।” हालांकि, स्थानीय लोगों ने इस दावे को खारिज करते हुए इसे “झूठी प्रेस रिलीज” करार दिया। उनका कहना है कि पुलिस ने जानबूझकर सबूतों को दबाया और मामले को हल्का करने की कोशिश की।
पीड़ित का बयान: न्याय की मांग
पीड़ित राकेश कुमार मिश्रा ने बताया, “मैं अपने मालवाहक वाहन के पास था जब उन मनबढ़ों ने मुझ पर हमला किया। मेरे पास मौजूद दो लाख रुपये भी छीन लिए गए। मैंने पुलिस से मदद मांगी, लेकिन उनकी कार्रवाई निराशाजनक है। मुझे न्याय चाहिए।” राकेश के परिजनों ने उच्च अधिकारियों से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
यह मामला वाराणसी पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाता है। पहले भी कई बार पुलिस पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लग चुके हैं। इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा कर दिया है। स्थानीय लोग अब इस मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
यह मामला न केवल एक व्यापारी के साथ हुई आपराधिक घटना को दर्शाता है, बल्कि पुलिस व्यवस्था में कथित भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करता है। क्या राकेश कुमार मिश्रा को न्याय मिलेगा, या यह मामला भी पुलिस की फाइलों में दबकर रह जाएगा? यह सवाल अब वाराणसी की जनता के मन में है।