शक्ति रूपेण संस्थिता, मां काली मंदिर, सैदपुर

आकाश पाण्डेय

सैदपुर (गाज़ीपुर)। जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर सैदपुर तहसील के बगल में स्थित मां काली मंदिर पर बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर सैदपुर रेलवे स्टेशन से एक किमी पश्चिम में है, ट्रेन से भी यहां आसानी से आ सकते हैं।

माँ काली मंदिर का इतिहास…
माँ काली मंदिर का प्राचीन इतिहास है। गुलाम भारत में सैदपुर तहसील का निर्माण चल रहा था। तहसील के पश्चिम तरफ पत्थर रखा हुआ था। एक मिस्त्री एक पत्थर चुराकर लेता गया। अगले दिल सुबह खोजबीन शुरू हुई तो मिस्त्री ने डरवश पत्थर को संगत घाट के किनारे गंगा नदी में फेंक दिया। इस घटना के वर्षों बाद सात्विक ब्राह्मण रघुनाथ दिवेदी को मां काली ने स्वपन में बताया कि वह संगत घाट पर जमीन में धंसी है। अगले दिन ब्राह्मण ने उस स्थान की खुदाई करवाई तो मूर्ति मिली। मूर्ति को गंगाजल से धुलकर कर विधिवत मंत्रोचार के बीच तहसील के पश्चिम तरफ नीम के पेड़ के नीचे स्थापित किया गया। तभी से यहां पूजन अर्चन होने लगा।

मंदिर की विशेषता…
माँ काली मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था एवं विश्वास का केंद्र है। वैसे तो प्रतिदिन यहां श्रद्धालु दर्शन पूजन करने के लिए आते हैं, लेकिन नवरात्रि में काफी भीड़ होती है। अष्टमी के दिन भव्य आरती होती है। अब मंदिर आकर्षक बन गया है। बगल के धर्मशाला में नित्य मांगलिक कार्यक्रम भी होते हैं।

 

“इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह काफी जागता मंदिर है। यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु घंट बांधते हैं। क्षेत्र के अलावा दूर दराज से लोग यहां आते हैं”- सूर्यकांत मिश्रा, पुजारी

 

वर्षों से नित्य मंदिर आता हूं। मां काली मंदिर पहुंचने से मन को शांति मिलती है और परिवार में खुशहाली कायम रहती है- मनीष पांडेय, भक्त

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