संज्ञेय अपराध में आरोपी को थाने से छोड़े जाने पर उठे सवाल, न्यायालय ने तलब की थाना सारनाथ से रिपोर्ट

रिपोर्ट: वीरेंद्र पटेल
वाराणसी। थाना शिवपुर में दर्ज एक संज्ञेय अपराध के मामले में नामजद आरोपी संजय कुमार सिंह को हिरासत में लेने के बाद बिना सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए थाने से छोड़ दिए जाने पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मामले में न्यायालय ने थाना सारनाथ से 23 मई तक पूरी रिपोर्ट तलब की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दीपक कुमार सिंह पुत्र शिवशंकर सिंह निवासी लच्छीरामपुर, थाना बड़ागांव द्वारा माननीय न्यायालय के आदेश पर दिनांक 04.09.2024 को थाना शिवपुर, वाराणसी में मु.अ.सं. 0383/2024 के अंतर्गत संजय कुमार सिंह समेत अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। अभियुक्त के प्रभाव और कथित प्रलोभनों के चलते थाना शिवपुर द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न किए जाने पर विवेचना को स्थानांतरित कर थाना सारनाथ को सौंपा गया।
विवेचना के दौरान धारा 458 IPC की बढ़ोत्तरी की गई और 16 मई 2025 को अभियुक्त संजय कुमार सिंह को हिरासत में लिया गया, जिसकी पुष्टि थाना सारनाथ द्वारा रोजनामचा संख्या 19 में सुबह 8:55 बजे दर्ज की गई। हालांकि, कुछ ही घंटों बाद बिना न्यायालय में प्रस्तुत किए आरोपी को थाने से छोड़ दिया गया। यह कार्रवाई गंभीर प्रश्न खड़े कर रही है कि संज्ञेय अपराध में गिरफ्तारी के बाद अभियुक्त को किस अधिकार के तहत बिना न्यायिक रिमांड के मुक्त किया गया।
प्रार्थी के अधिवक्ता चेग्वेवारा रघुवंशी ने इस घटनाक्रम को ट्विटर (एक्स) सहित पुलिस अधिकारियों को भी तत्काल सूचित किया। वहीं दीपक सिंह द्वारा पुलिस आयुक्त व अन्य उच्चाधिकारियों को इस संबंध में रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजा गया और अधिवक्ताओं द्वारा ईमेल के माध्यम से जांच की मांग की गई।
गौरतलब है कि IPC की धारा 458 एक गम्भीर अपराध की श्रेणी में आती है, जिसमें आरोपी को सीधे अदालत में प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य है। बावजूद इसके थाने से अभियुक्त को छोड़ने की घटना ने पुलिस कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं।
प्रकरण को लेकर अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी, चेग्वेवारा रघुवंशी, चन्द्रशेखर मिश्रा, अश्विनी दूबे, व सुजीत गौतम ने दिनांक 21 मई को न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया। जिस पर न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए थाना सारनाथ को निर्देशित किया है कि वह दिनांक 23 मई 2025 तक अपनी आख्या प्रस्तुत करे।
अब यह देखना होगा कि एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी दीपक कुमार सिंह को न्याय मिल पाता है या नहीं — यह मामला कानून के राज पर एक बड़ी परीक्षा बनकर सामने आया है।