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नई दिल्ली। पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और उनकी लेखनी पर रोक लगाने की कथित सरकारी कोशिशों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने सवाल उठाया है कि सिर्फ एक स्टोरी लिखने के आधार पर किसी पत्रकार पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) आखिर कैसे लगाई जा सकती है?
यह मामला पत्रकार ममता त्रिपाठी से जुड़ा है, जिन पर सितम्बर 2023 में लखनऊ के हज़रतगंज थाने में FIR दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पत्रकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि यह मामला केवल मानहानि का है, जो कि असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। लेकिन उसे जबरन संज्ञेय बनाने के लिए धारा 420 जोड़ी गई, जो पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट रूप से नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार और DGP को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
बता दें कि ममता त्रिपाठी पर दर्ज FIR को लेकर राज्य सरकार तीन महीने से सुप्रीम कोर्ट में समय लेती आ रही थी, लेकिन अब अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार की “क्लास” लगाई और जल्द जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
