हर सेकेंड साइबर ठग रहे ₹1.63 करोड़, भारत में 6 साल में 42 गुना बढ़ी साइबर ठगी
2025 में भारतीयों से ₹1.2 लाख करोड़ की ठगी का अनुमान, 37% जिलों में अब भी नहीं है साइबर क्राइम सेल

रिपोर्ट: आरिफ अंसारी
नई दिल्ली। दुनिया में साइबर ठगी का जाल तेजी से फैल रहा है और भारत इस खतरे का सबसे बड़ा निशाना बनता जा रहा है। साल 2024 में वैश्विक साइबर ठगी ₹498 लाख करोड़ तक पहुंच गई — यानी हर सेकेंड ₹1.63 करोड़ की चपत।
भारत में भी साइबर अपराधियों की पकड़ गहरी होती जा रही है। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में 9.2 लाख से ज्यादा साइबर फ्रॉड शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें ₹6 हजार करोड़ की चपत लगी। ये आंकड़ा चौंकाने वाला इसलिए है क्योंकि पिछले 6 सालों में साइबर ठगी के मामलों में 42 गुना वृद्धि दर्ज की गई है।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) का मानना है कि 2025 में भारतीयों को ₹1.2 लाख करोड़ की साइबर ठगी का सामना करना पड़ सकता है, जो बिहार के कुल बजट के 50% के बराबर है।
हालांकि सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं — 2024 में 24 हजार अधिकारियों को साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग दी गई, और देश के 33 राज्यों में साइबर फॉरेंसिक लैब्स स्थापित की गई हैं। लेकिन अब भी देश के 37% जिलों में साइबर क्राइम सेल नहीं है, जिससे साइबर अपराधों पर काबू पाने में दिक्कत हो रही है।
इसी साल भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा पर ₹28 हजार करोड़ खर्च करने का अनुमान जताया है, लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि देश को इससे भी बड़ी तैयारी की जरूरत है।