15 साल से मौन है कुंडेसर का पशु चिकित्सालय, बीमार मवेशियों की चीख भी नहीं पहुंच रही विभाग तक
खुरपका-मुंहपका जैसी गंभीर बीमारियों के बीच टीकाकरण व्यवस्था ठप, ग्रामीणों की मांग—कुंडेसर में जल्द हो पशु चिकित्सालय की बहाली

रिपोर्ट: राहुल पटेल।
भांवरकोल, गाजीपुर। क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसान और पशुपालक इन दिनों मवेशियों के इलाज और टीकाकरण को लेकर परेशान हैं। खुरपका और मुंहपका जैसी गंभीर बीमारियों के इस मौसम में टीकाकरण की कोई व्यवस्था नहीं होने से मवेशियों की जान पर बन आई है। गरीब पशुपालक इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं, लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिल रही है।
ग्राम पंचायत कुंडेसर में करीब 15 वर्ष पूर्व एक पशु चिकित्सालय हुआ करता था, जहां मवेशियों का न सिर्फ टीकाकरण होता था, बल्कि गंभीर बीमारियों का इलाज भी किया जाता था। यहां नियुक्त कर्मचारी गांव-गांव जाकर टीकाकरण भी करते थे। लेकिन अब वह चिकित्सालय पूरी तरह बंद हो चुका है और उसका कोई अता-पता नहीं है।
ग्राम प्रधान प्रदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने पशुपालन विभाग को पत्र भेजकर क्षेत्र की समस्या से अवगत कराया है और शीघ्र पशु चिकित्सालय पुनः स्थापित करने की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
कुंडेसर निवासी रामनारायण यादव और बबलू सिंह यादव ने बताया कि समय से टीका न लगने के कारण कई बार बीमारी गंभीर हो जाती है और इलाज से पहले ही पशु की मौत हो जाती है। यह न केवल आर्थिक नुकसान है बल्कि ग्रामीणों की आजीविका पर भी भारी असर डालता है।
कुंडेसर, सुरतापुर, पखनपुरा, कबीरपुर, जयनगर, लालूपुर, शेरपुर और माढ़ूपुर जैसे गांवों के लोग कभी इसी पशु चिकित्सालय से लाभ उठाते थे, लेकिन अब उन्हें अपने मवेशियों को लेकर दूरदराज के अस्पतालों में भटकना पड़ता है।
इस संबंध में पूछे जाने पर पशु चिकित्सा अधिकारी, मोहम्मदाबाद ने बताया कि ग्राम प्रधान से सूचना प्राप्त हो चुकी है। विभागीय स्तर पर प्रक्रिया जारी है और शीघ्र ही शासन से अनुमति मिलने के बाद कुंडेसर में फिर से पशु चिकित्सालय की स्थापना की जाएगी, जिससे ग्रामीणों को राहत मिलेगी।
पशुपालकों की बढ़ती परेशानी और मवेशियों की जान पर मंडराता खतरा देखकर अब शासन को शीघ्र निर्णय लेना चाहिए, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में पशु चिकित्सा व्यवस्था दोबारा पटरी पर लौट सके।