24 मई को मनाया जाता है वाराणसी का जन्मदिन, काशीवासियों में उत्साह और उल्लास का माहौल
काशी की सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक विरासत को सम्मान देने का दिन — डॉ. विनोद कुमार सिंह

रिपोर्ट: श्रुति सूर्यवंशी
वाराणसी… दुनिया के सबसे प्राचीन नगरों में से एक, जिसे काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है… आज अपना “जन्मदिन” मना रहा है। 24 मई का दिन हर साल काशी के लोगों के लिए खास होता है, जब वे अपने शहर के प्रति प्यार और श्रद्धा प्रकट करते हैं।
शहर के प्रमुख घाटों से लेकर गलियों तक, हर जगह काशी की रौनक देखने लायक है। लोगों ने आज अपने-अपने तरीके से इस ऐतिहासिक नगर का जन्मदिन मनाया। कहीं दीए जलाए गए, तो कहीं फूलों से सजीं गलियां देखने को मिलीं।
डॉ. विनोद, जो पेशे से एक डेंटल सर्जन हैं, लेकिन दिल से काशी के भक्त हैं — उन्होंने इस मौके पर कहा,
“वाराणसी सिर्फ एक शहर नहीं, एक जीवित संस्कृति है। इस धरती पर होना ही गर्व की बात है।”
बच्चों ने भी इस मौके पर खास चित्रकारी प्रतियोगिताएं और लोक गीतों का आयोजन किया। स्थानीय स्कूलों और सामाजिक संगठनों ने झांकी, नृत्य और कविता पाठ के ज़रिए बनारस की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया।
काशीवासियों का मानना है कि यह नगर खुद भगवान शिव की बसाई हुई नगरी है — और इसलिए यह किसी सामान्य शहर का नहीं, बल्कि एक ‘धार्मिक आत्मा‘ का जन्मदिन है।
वाराणसी नगर निगम ने भी इस अवसर पर घाटों की विशेष साफ-सफाई करवाई और शाम को दीपोत्सव की तरह घाटों पर विशेष आयोजन किए।
काशी का जन्मदिन हर वर्ष बनारस के प्रति लोगों की आस्था और जुड़ाव को और मज़बूत करता है। जहां एक ओर आधुनिकता बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर लोग अपने शहर की आत्मा को सहेजते हुए उसकी परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं।