27 साल बाद 50 हज़ार का इनामी हत्यारोपी गिरफ्तार, गुजरात में छिपा था इतने सालों बदल कर पहचान

रिपोर्ट: विशाल कन्नौजिया।
वाराणसी, 22 जून 2025: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में पुलिस ने 27 वर्षों से फरार चल रहे एक सनसनीखेज हत्या के आरोपी को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी कल्लू सिंह उर्फ त्रिभुवन सिंह पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित था और वह लंबे समय से पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए गुजरात में पहचान बदलकर छिपा हुआ था। लेकिन वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस की सतर्कता और खुफिया जानकारी के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
दरअसल, 17 अप्रैल 1997 को लंका थाना क्षेत्र स्थित हैरिटेज अस्पताल के तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी विधानचंद तिवारी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय वे अस्पताल के पोर्टिको में खड़ी मारुति कार के बोनट पर फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे थे कि तभी दो अज्ञात हमलावरों ने अचानक गोलियां चलाईं। इस हमले में तिवारी की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि पास ही मौजूद राजेश कुमार और महंथ यादव गोली लगने से घायल हो गए थे।
उसी दिन हमलावरों ने नैपुरा कला क्षेत्र में एक अन्य व्यक्ति मायाराम उर्फ मायालू पर भी जानलेवा हमला किया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हुआ और BHU अस्पताल में उसका इलाज चला। इन दो घटनाओं के संबंध में लंका थाने में हत्या और हत्या के प्रयास की धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनमें विवेचना के दौरान दो नाम सामने आए — बालेन्द्र सिंह उर्फ बल्ला और कल्लू सिंह उर्फ त्रिभुवन।
बालेन्द्र सिंह को कुछ वर्षों बाद चंदौली पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया, लेकिन कल्लू सिंह लगातार फरार बना रहा। उसके खिलाफ कोर्ट से 299 सीआरपीसी के तहत स्थायी वारंट जारी हुआ और कुर्की की कार्रवाई भी की गई। लेकिन आरोपी पर गिरफ्तारी की मुहर तब लगी जब पुलिस आयुक्त वाराणसी के निर्देश पर मुखबिर की सूचना पर गुजरात में दबिश दी गई।
गुजरात में छिपे आरोपी को पुलिस टीम ने घेराबंदी कर पकड़ा और पहचान की पुष्टि के बाद वाराणसी लाया गया, जहां वादी मुकदमे ने उसे देखते ही पहचान लिया। पूछताछ में आरोपी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। 22 जून को उसे लंका थाने में गिरफ्तार कर लिया गया।
इस कार्रवाई में लंका थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्र, उप निरीक्षक सिद्धांत कुमार राय और कांस्टेबल विजय कुमार सिंह व विजय शुक्ला शामिल रहे। इस बड़ी गिरफ्तारी को वाराणसी पुलिस की एक अहम कामयाबी माना जा रहा है, जो जघन्य अपराधों के खिलाफ चल रही “जीरो टॉलरेंस” नीति का परिणाम है।