गुमशुदा नाबालिग किशोरी के मामले में पुलिस का रवैया संवेदनहीन, कार्यवाही न होने की स्थिति में दी आंदोलन की चेतावनी

राज कुमार गुप्ता

~ गुमशुदा नाबालिग किशोरी के मामले में पुलिस की लेटलतीफ कार्यवाही से क्षुब्ध दख़ल और ऐपवा संगठन ने पुलिस कमिश्नर को सौंपा ज्ञापन।

~ कार्यवाही न होने की स्थिति में दी आंदोलन की चेतावनी

वाराणसी: 26 जुलाई 2024 को पुलिस कमिश्नर ऑफिस (कचहरी) वाराणसी में खुशी पाल के लापता होने के मामले में पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा गया। दख़ल संगठन और एपवा द्वारा आयोजित इस ज्ञापन कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाग लिया।

ज्ञापन में कहा गया है कि:

– खुशी पाल, 17 वर्षीय छात्रा, 12 अप्रैल 2024 से लापता है।
– वह ग्राम दनियालपुर, थाना शिवपुर की निवासी है।
– इसकी FIR 22 अप्रैल 2024 को दर्ज की गई थी।
– अभी तक खुशी पाल का कोई पता नहीं चल पाया है।
– प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में एक माह के ऊपर FIR होने के बावजूद लड़की का ना मिलना क्षेत्र में महिला सुरक्षा पर सवाल उठाता है।
– पुलिस कमिश्नर से अनुरोध किया गया है कि इस गंभीर मामले को हल करने के लिए उचित कार्रवाई का आदेश दें।
– हम खुशी पाल के परिवार के साथ खड़े हैं और उनकी सुरक्षित वापसी की कामना करते हैं।

हम नागरिक समाज के सदस्य महिला सुरक्षा के मामले में NCRB के अपराध आंकड़ों को बढ़ते हुए देखकर चिंतित हैं। NCRB का डेटा कहता है कि हर दिन 1454 महिलाएँ और लड़कियां लापता हो रही है। 2 साल में 10 लाख से ज्यादा महिलाएं और लड़कियां लापता हुई है। ये वो डेटा है जो रिजस्टर्ड है पता नही और कितनी ही संख्या होगी जिनकी गिनती हुई ही नही, ऐसे में हम महिलाएं खुदको कितना सुरक्षित महसूस करेंगी।
सरकार की तरफ से ये नारा दिया गया कि *बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ* लेकिन सवाल ये है कि *मिलेगी बेटी तभी तो पढ़ेगी बेटी, बेटियां रहेंगी ही नही तो पढेंगी कहा से।
बेटियां लापता हो रही हैं और पुलिस प्रसासन चुपचाप बैठी है।
इस अवसर पर दख़ल संगठन और एपवा के साथियों ने कहा कि हम खुशी पाल के परिवार के साथ एकजुट हैं और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। हम पुलिस प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि इस मामले को गंभीरता से लें और खुशी पाल को जल्द से जल्द सुरक्षित वापस लाएं।
कमिश्नर ऑफिस में ज्ञापन लिया गया और ये आश्वाशन दिया गया है कि 15 दिन में कार्यवाही होगी, हम सभी ने तय किया है कि अगर कार्यवाही नही होती है तो हम बनारस की महिलाएं आंदोलन करेंगी न्याय मिलने तक।

दख़ल संगठन और एपवा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाग लिया।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कुसुम वर्मा, नीति, शालिनी, दीक्षा, इन्दु, अधिवक्ता प्रेम, अनुज, सिस्टर फ़्लोरिन, विभा वाही, डा. नूर फातमा, अमरनाथ राजभर, खुशी की मां अभिलाषा खुशी के पिता संतोष पाल, संगीता इत्यादि शामिल रहे।

 

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