सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट की पहल: प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए ईंट-भट्ठों पर शिक्षण केंद्र शुरू
मो० आरिफ़ अंसारी
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आशा सामजिक शिक्षण केन्द्रों का संचालन प्रारम्भ
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वाराणसी जनपद में कुल 11 केंद्र का संचालन
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लगभग 350 बच्चे हो रहे हैं लाभान्वित
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ईंट भट्ठों पर कार्यरत प्रवासी श्रमिको के बच्चों की शिक्षा के लिए की जा रही है कोशिश
वाराणसी के चोलापुर और आराजीलाइन विकास खंड क्षेत्र में आशा ट्रस्ट द्वारा इस वर्ष भी प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए 11 अस्थाई शिक्षण केंद्र शुरू किए गए हैं। ये केंद्र उन बच्चों के लिए विशेष रूप से संचालित किए जाते हैं, जो बिहार, झारखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से अपने परिवार के साथ ईंट भट्ठों पर काम करने आते हैं।
शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए पहल
आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पांडेय ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के बच्चे, जो अधिकतर समय ईंट भट्ठों पर गुजारते हैं, औपचारिक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए आशा ट्रस्ट ने अस्थाई अनौपचारिक शिक्षा केंद्रों की शुरुआत की है। इन केंद्रों में बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ खेलकूद और शैक्षिक गतिविधियों में भी शामिल किया जाता है।
भट्टा संचालकों का भी सहयोग
ईंट भट्ठा संचालकों का इस पहल में पूरा सहयोग रहता है। संस्था इन बच्चों को गर्म कपड़े, किताबें, कॉपियां और स्लेट भी उपलब्ध कराती है। प्रत्येक वर्ष दीपावली और छठ पूजा के बाद जब मजदूर ईंट भट्ठों पर काम करने आते हैं, तब यह कार्यक्रम शुरू होता है।
सरकारी स्कूलों में नामांकन की कोशिश
संस्था के कार्यकर्ता बच्चों का सर्वेक्षण कर उन्हें पास के सरकारी स्कूलों में नामांकन कराने की कोशिश करते हैं। स्कूल के बाद बच्चे इन केंद्रों पर आते हैं, जहां उनकी शिक्षा और गतिविधियों का ध्यान रखा जाता है।
मानसून की शुरुआत के साथ जब मजदूर वापस अपने गांव लौट जाते हैं, तो यह शिक्षण केंद्र भी बंद हो जाते हैं। इस साल लगभग 350 बच्चों को इन केंद्रों से लाभ हुआ है।
कार्यकर्ताओं की भूमिका
इन केंद्रों के संचालन में दीन दयाल सिंह, प्रदीप सिंह, अमित कुमार, अनीता देवी, विद्या देवी, नीलम प्रधान, पुष्पा देवी, ब्रिजेश कुमार और अन्य का महत्वपूर्ण योगदान है।
इस पहल से प्रवासी मजदूरों के बच्चों को शिक्षा और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने का अवसर मिल रहा है। आशा ट्रस्ट का यह प्रयास समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है।