वाराणसी जिला जेल अधीक्षक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, BJP नेता ने पेश किए भ्रष्टाचार के सबूत

 

वाराणसी जिला जेल के अधीक्षक डॉ. उमेश सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। भाजपा नेता और अधिवक्ता शैलेंद्र पांडेय उर्फ कवि ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया के सामने करोड़ों रुपये के कथित भ्रष्टाचार से जुड़े सबूत पेश किए।

भ्रष्टाचार के आरोपों का सिलसिला-
शैलेंद्र पांडेय ने कहा कि उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री और वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। मीडिया के जरिए उन्होंने मांग की है कि आरोपों की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

उन्होंने बताया कि जिला जेल में कई तरह की अनियमितताएं चल रही हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं:

  1. नशीली वस्तुओं की सप्लाई: जेल के गल्ला गोदाम से जुड़े राइटर रामसूरत पर जेल में नशीली वस्तुएं सप्लाई करने के आरोप हैं। यह आरोप है कि वह अधीक्षक को पैसा देकर इस काम को अंजाम दे रहा है।
  2. आजीवन कारावास के बंदियों की अवैध मौजूदगी:- कुछ बंदियों को हटाया जा चुका है, लेकिन फिर भी कई आजीवन कारावास के कैदी जेल में मौजूद हैं।
  3. टेलीफोन शुल्क का अनावश्यक वसूली:- कैदियों से टेलीफोन का अतिरिक्त पैसा वसूला जा रहा है, जबकि इसके लिए शासन द्वारा व्यवस्था है।
  4. कैंटीन में नशीली वस्तुओं की बिक्री:- जेल की कैंटीन में नशीली वस्तुओं की बिक्री का आरोप लगाया गया है। यह भी कहा गया कि कैंटीन संचालन में जेल मैन्युअल के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
  5. बैरक नंबर 10 में अवैध वसूली:- आरोप है कि बैरक नंबर 10 में कैदियों से बैठकी के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है और यह पैसा उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जा रहा है।
  6. कर्मचारियों से अवैध धन उगाही:- जेल के राइटरों से हर महीने अधीक्षक को अनियमित रूप से पैसे देने की शिकायतें भी सामने आई हैं।

डिप्टी जेलर ने की थी शिकायत- BJP नेता ने बताया कि डिप्टी जेलर रतन प्रिया ने अधीक्षक के खिलाफ अभद्र व्यवहार और भ्रष्टाचार की शिकायत की थी, लेकिन उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जेल की दुर्दशा पर उठाए सवाल- प्रेस वार्ता के दौरान जेल में कैदियों के साथ हो रहे व्यवहार पर भी सवाल उठाए गए। उन्होंने कहा कि कैदियों को पर्याप्त खाना और अच्छी दवाइयां नहीं मिल रही हैं। बाथरूम और कंबलों की हालत भी खराब है। इसके अलावा मजदूरी का पैसा कैदियों को नहीं दिया जा रहा है।

भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की मांग- शैलेंद्र पांडेय ने बताया कि इस मामले में पहले भी डीजी जेल को शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि अधीक्षक डॉ. उमेश सिंह ने अपनी नियुक्ति के बाद से करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया है, लेकिन सरकार की ओर से इस पर चुप्पी साधी गई है।

BJP नेता ने कहा अनियमितता की हो निष्पक्ष जांच- भाजपा नेता ने कहा कि जेल में हो रही अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वह आगे बड़ा कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे।

पत्रकारों से बातचीत में शैलेंद्र पांडेय ने कहा कि जिला जेल के हालात और भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी जाए। साथ ही दोषी पाए जाने पर आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।

इस मामले ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इन गंभीर आरोपों पर क्या कदम उठाता है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कब तक होती है।

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