सैदपुर: जॉइंट मजिस्ट्रेट का अनोखा अंदाज, आम जनता बनकर जानी नगर की समस्याएं

आकाश पाण्डेय, गाज़ीपुर

 

गाज़ीपुर (सैदपुर)। प्रशासनिक सेवाओं में अक्सर देखा जाता है कि अधिकारी पद पर पहुंचने के बाद आम जनता से दूरी बना लेते हैं। लेकिन सैदपुर के जॉइंट मजिस्ट्रेट और प्रशिक्षु आईएएस रामेश्वर सुधाकर सब्बनवाड ने इस धारणा को तोड़ते हुए गुरुवार की रात अपने अनोखे अंदाज में नगर की समस्याओं को समझने का प्रयास किया।

गुरुवार देर शाम 7 बजे प्रशिक्षु आईएएस रामेश्वर सब्बनवाड गुमनाम बनकर सैदपुर नगर में पैदल और अकेले निकल पड़े। उन्होंने अपने सुरक्षाकर्मियों और अर्दली को साथ आने से मना करते हुए कहा कि वह सैदपुर की समस्याओं से रूबरू होने के लिए आम जनता की तरह घूमना चाहते हैं।

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समस्याओं का किया निरीक्षण
सबसे पहले जॉइंट मजिस्ट्रेट ने राहगीरों के लिए बनाए गए रैन बसेरे का निरीक्षण किया। वहां यात्री नहीं थे, लेकिन सुविधाएं उपलब्ध थीं। इसके बाद उन्होंने अलाव जलने के स्थानों का निरीक्षण किया। फिर बीएसएनएल एक्सचेंज के बगल के रास्ते से होते हुए पकड़ी पेड़ तक पहुंचे।

बाजार और सब्जी मंडी का किया दौरा
रामेश्वर सब्बनवाड बाजार घूमते हुए बाबा ड्रेसेज की गली पहुंचे। वहां उन्होंने एक-दो दुकानों पर रुककर स्थानीय लोगों से औपचारिक बातचीत की। इसके बाद वह नई सड़क सब्जी मंडी पहुंचे। रास्ते में उन्होंने चाय की दुकानों पर रुककर चाय पी और लोगों से क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा की।

लोगों से खुलकर की बातचीत
जॉइंट मजिस्ट्रेट ने साधारण नागरिक बनकर लोगों से क्षेत्र की समस्याओं के बारे में जानकारी ली। आम जनता को यह अहसास तक नहीं हुआ कि उनसे बात करने वाला व्यक्ति एक आईएएस अधिकारी है।

समस्याओं को दूर करने का दिया आश्वासन
अपने दौरे के बाद रामेश्वर सब्बनवाड पैदल ही अपने आवास लौटे। उन्होंने कहा कि इस दौरे के दौरान नगर की कई समस्याओं का पता चला है। इन समस्याओं को प्राथमिकता से दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

आम जनता ने की सराहना
जब शुक्रवार सुबह लोगों को पता चला कि बीती रात उनके दुकानों पर जो व्यक्ति समस्याओं को सुन रहा था, वह कोई और नहीं बल्कि एक आईएएस अधिकारी था, तो सभी चौंक गए। नगरवासियों ने उनके इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों की वजह से ही सिस्टम में भरोसा बरकरार है।

जनता दर्शन के लिए आमंत्रण
रामेश्वर सब्बनवाड ने कहा कि जो भी व्यक्ति अपनी समस्या रखना चाहता है, वह सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक बिना किसी रोक-टोक के सीधे उनसे मिल सकता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि समस्याओं का समाधान प्राथमिकता पर किया जाएगा।

उनके इस कदम ने यह साबित किया कि अगर अधिकारी खुद जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझे, तो बदलाव लाने की प्रक्रिया और तेज हो सकती है।

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