Varanasi

डाकघरों में शुरू हुई ‘बाग़ी बलिया’ के सत्तू की बिक्री, वाराणसी से हुई शुरुआत

प्रधान डाकघर वाराणसी कैण्ट से कर्नल विनोद कुमार ने की पहल, ₹75 में आधा किलो सत्तू उपलब्ध, भविष्य में यूपी समेत देशभर में विस्तार की योजना

आरिफ़ अंसारी, वाराणसी 

 

वाराणसी, 19 अगस्त 2025: स्वदेशी उत्पादों के प्रचार-प्रसार और स्थानीय व्यंजनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय डाक विभाग ने एक अनोखी पहल की है। इस क्रम में वाराणसी के कैण्ट प्रधान डाकघर से ‘बाग़ी बलिया’ के मशहूर सत्तू की बिक्री की शुरुआत की गई है। इस योजना की शुरुआत प्रधान डाकघर, वाराणसी में डाक सेवाओं के पोस्टमास्टर जनरल कर्नल विनोद कुमार ने की।

आम जनता को मिलेगा पौष्टिक और सस्ता विकल्प

अब कोई भी व्यक्ति वाराणसी सहित आस-पास के जिलों के डाकघरों से सिर्फ ₹75 में आधा किलो बाग़ी बलिया का सत्तू खरीद सकता है। यह सत्तू सीधे बलिया से लाकर डाकघरों में वितरित किया जाएगा, जिससे न सिर्फ़ उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त उत्पाद उचित मूल्य पर मिलेगा, बल्कि डाक विभाग को भी नया राजस्व स्रोत प्राप्त होगा।

बनारस आने के बाद लिया संकल्प: कर्नल विनोद

कर्नल विनोद कुमार ने इस अवसर पर बताया कि जम्मू-कश्मीर से स्थानांतरण के बाद जब वे पहली बार बनारस आए, तो यहाँ के लोगों के जीवन में सत्तू की महत्ता देखकर वे चकित रह गए। तभी उन्होंने निश्चय किया कि इस पारंपरिक, स्वदेशी और पौष्टिक आहार को डाकघरों के माध्यम से आम जन तक पहुंचाया जाएगा।

उन्होंने कहा, “डाक विभाग सिर्फ़ पत्र और पार्सल ही नहीं पहुंचाता, बल्कि अब यह जनहित के उत्पादों को भी पहुंचाने का माध्यम बनेगा।”

सत्तू की विविधता और फ्लेवर लाने की तैयारी

कर्नल विनोद ने बताया कि भविष्य में सत्तू के नए फ्लेवर — जैसे गुलाब की खुशबू, केसर स्वाद, और चॉकलेट सत्तू — को भी प्रायोगिक रूप से लाने की योजना है ताकि नई पीढ़ी की पसंद का भी ख्याल रखा जा सके।

पारंपरिक सत्तू की खासियत

सत्तू मुख्यतः भुने हुए चने को पीसकर तैयार किया जाता है। इसे पानी में घोलकर नमक, नींबू, और पुदीना मिलाकर पीने योग्य एनर्जी ड्रिंक बनाया जा सकता है। इसके अलावा इसे सानकर आटे की तरह खाकर भी प्रयोग किया जाता है। दोनों ही रूपों में यह बेहद पौष्टिक और सेहतमंद होता है।

क्षेत्रीय जिलों में भी मिलेगी सुविधा

फिलहाल इस योजना के तहत सत्तू की बिक्री वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, मुगलसराय, जौनपुर, और नौगढ़ जैसे जिलों में भी शुरू की गई है। भविष्य में इसे पूरे उत्तर प्रदेश के डाकघरों में लागू करने की योजना है। अगर यहाँ सफल होती है तो देश के अन्य राज्यों में भी इसका विस्तार किया जाएगा।

कर्मचारियों और छात्रों को भी होगा लाभ

डाक विभाग की सुश्री पल्लवी ने बताया कि हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए विशेष सुविधा दी जाएगी ताकि वे पौष्टिक आहार सुलभ रूप से प्राप्त कर सकें। सुश्री पूजा ने कहा कि यह कदम न केवल सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि डाक विभाग के राजस्व के लिए भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
साथ ही श्री परमानंद, सहायक निदेशक, ने कहा कि इससे विभागीय कर्मचारियों को भी फायदा होगा क्योंकि उन्हें सत्तू खरीदने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

बलिया के ‘मलाई चने’ से बनता है सत्तू

निधि उद्योग के प्रतिनिधि सौरभ ने बताया कि यह सत्तू बलिया के खास ‘मलाई चने’ से बनाया गया है, जिसकी गुणवत्ता देशभर में प्रसिद्ध है। इसके स्वाद और पौष्टिकता को ध्यान में रखते हुए इसे बड़े स्तर पर प्रचारित करने की योजना है।

ऐतिहासिक दिन से जुड़ा विशेष महत्व

गौरतलब है कि 20 अगस्त 1942 को चित्तू पांडेय के नेतृत्व में बलिया ने अपने को आज़ाद घोषित कर दिया था। ऐसे ऐतिहासिक अवसर के आस-पास इस योजना की शुरुआत होना इस पहल को और भी प्रेरणादायक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।

पहले ग्राहक बने कर्नल विनोद

कार्यक्रम के समापन पर कर्नल विनोद कुमार ने सत्तू का पहला पैकेट खुद खरीदा, जिसके बाद अन्य उपस्थित जनों ने भी सत्तू खरीदना शुरू किया। इस अवसर पर बलिया के अधीक्षक हेमंत और वाराणसी वेस्ट के अधीक्षक सुरेश ने भी अपने विचार रखे।

यह पहल न केवल स्वदेशी और पारंपरिक उत्पादों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि डाकघरों को एक बार फिर जनजीवन से जोड़ने का अभिनव प्रयास भी है। सत्तू की यह योजना यदि सफल होती है, तो यह पूरे देश में पोषण और संस्कृति दोनों का प्रसार करेगी।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button