बहराइच बुलडोज़र मामला: यूपी सरकार ने लिया नोटिस वापस, जांच आयोग की मांग पर 27 नवंबर को सुनवाई

✒️आबिद शेख, स्वतंत्र पत्रकार

 

बहराइच। उत्तर प्रदेश में विवादित बुलडोज़र कार्रवाई के मामले में राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए प्रभावित लोगों को जारी किए गए नोटिस को वापस ले लिया है। इस घटनाक्रम के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है। पीड़ितों की ओर से वकीलों ने अदालत से मांग की है कि एक स्वतंत्र जांच आयोग का गठन किया जाए, जो इस पूरे मामले की गहराई से जांच करे। साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित किया जाए। अदालत ने इस पर सुनवाई के लिए 27 नवंबर की तारीख तय की है।

बुलडोज़र कार्रवाई पर बढ़ी कानूनी चुनौती
बहराइच में हुई बुलडोज़र कार्रवाई को लेकर लंबे समय से कानूनी लड़ाई जारी है। आरोप है कि प्रशासन ने बिना उचित प्रक्रिया के लोगों की संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया, जिससे जनता में भय का माहौल बन गया।
APCR (एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स) ने इस मामले में प्रमुख भूमिका निभाते हुए प्रभावितों की ओर से जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी है।

छत्तीसगढ़ और एमपी हाईकोर्ट की कार्रवाई
इस बीच छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी राजस्व अधिकारियों पर सख्त रुख अपनाते हुए फैसला सुनाया है। छत्तीसगढ़ में एक पटवारी पर 5 लाख रुपये और मध्य प्रदेश में 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह कदम सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा संदेश है।

जनता के लिए न्याय की उम्मीद बनी APCR
APCR के वकीलों ने कहा कि बुलडोज़र कार्रवाई ने जनता पर अत्याचार और दहशत का माहौल पैदा किया। यह मामला अब एक बड़ी कानूनी और सामाजिक लड़ाई का रूप ले चुका है। जांच आयोग की मांग पर 27 नवंबर को होने वाली सुनवाई में यह तय हो सकता है कि इस तरह की कार्रवाइयों पर कैसे अंकुश लगाया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सकारात्मक परिणाम
लंबे समय से चले आ रहे इस संघर्ष के बीच कुछ सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। जनता और कानूनी संस्थानों के दबाव के चलते, प्रशासन को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। यह उन लोगों के लिए आशा की किरण है, जो इस तरह की कार्रवाई से प्रभावित हुए हैं।

बहराइच के इस मामले ने एक बार फिर सरकार की नीतियों और प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आगामी सुनवाई से इस विवाद पर आगे की दिशा तय होगी।

रहनुमाओं के अदाओं पर दुनिया फिदा है यारों.
कौन कहता है बादल में सुराख नहीं होता..
बादल में भी सुराख होता है …
कोई तबीयत से एक पत्थर तो उछालो यारों….

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