भाजपाइयों के इस कृत्य पर उठ रहें सवाल, कर दिया अशोक स्तम्भ का यह हाल..!

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के जिला मुख्यालय के पास संवैधानिक चिन्ह अशोक स्तंभ पर लहरा रहा है BJP का झंडा

नीरज सिंह, ख़बर भारत, वाराणसी

वाराणसी। कचहरी चौराहे पर स्थित गोलघर के ऊपर बने अशोक स्तंभ पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का झंडा लहराने का मामला सामने आया है। यह दृश्य शहरवासियों और सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन गया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या किसी संवैधानिक प्रतीक के ऊपर किसी राजनीतिक पार्टी का झंडा लगाना उचित है?

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अशोक स्तंभ देश के गौरव और संविधान के मूल्यों का है प्रतीक
गोलघर कचहरी चौराहे पर स्थित अशोक स्तंभ देश के गौरव और संविधान के मूल्यों का प्रतीक है। इसके शीर्ष पर BJP का झंडा लगाया गया है। यह तस्वीर वायरल होने के बाद शहर में हलचल मच गई है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या संवैधानिक प्रतीक पर किसी राजनीतिक दल का झंडा लगाने की अनुमति है?

राष्ट्रीय प्रतीक है अशोक स्तंभ 
अशोक स्तंभ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है, जो संविधान और भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक है। इसे राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 के तहत विशेष संरक्षण प्राप्त है। इस पर कोई भी गैर-सरकारी, राजनीतिक या धार्मिक प्रतीक लगाना कानून का उल्लंघन माना जाता है। इस घटना ने संविधान के सम्मान और राजनीतिक दलों की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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सोशल एक्टिविस्ट व स्वतंत्र पत्रकार आबिद शेख ने सोशल मीडिया X पर शिकायत कर सबका ध्यान किया आकर्षित https://x.com/aabidshekh7/status/1858896194862190683?s=48

जिला मुख्यालय पर राष्ट्रीय सतंभ के ऊपर लगे झंडे पर प्रशासन की चुप्पी
प्रशासन की तरफ से भी कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं की गई है। यह मामला प्रशासन की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। क्या यह केवल एक अनदेखी है, या राजनीतिक दबाव का परिणाम?

क्या है कानूनी पहलू
राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्मान का उल्लंघन करने पर कार्रवाई के प्रावधान हैं। यदि यह मामला राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 के तहत आता है, तो इसमें सख्त दंड का प्रावधान है।

इस घटना ने संवैधानिक प्रतीकों के सम्मान और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी पर एक अहम बहस छेड़ दी है। यह सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक दलों को इस तरह के प्रतीकों का इस्तेमाल करना चाहिए? प्रशासन और जिम्मेदार संस्थाओं को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि संवैधानिक मूल्यों की गरिमा बनी रहे।

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