सारनाथ जुआ कांड : जांच प्रक्रिया की इस कमी पर सवाल है जारी.!

कहीं लूटकांड में बंदरबांट/लीपापोती की तो नही तैयारी..?

नीरज सिंह

 

वाराणसी के सारनाथ स्थित रुद्रा अपार्टमेंट में हुए जुआकांड और लूट के मामले में पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। एफआईआर और जांच प्रक्रिया को देखकर यह साफ है कि लोक सेवक नियमावली और पुलिस मैनुअल के प्रावधानों की अनदेखी की गई है।

आरोपों के बावजूद कार्रवाई में लापरवाही 
तत्कालीन थानाध्यक्ष परमहंस गुप्ता पर लूट के गंभीर आरोप लगने के बावजूद शुरू में केवल लाइन हाजिर किया गया, बाद में निलंबन की कार्रवाई की गई। हालांकि, यह कदम तब उठाया गया जब मीडिया ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया और पुलिस की छवि को नुकसान हुआ।

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जांच प्रक्रिया पर उठ रहें हैं सवाल
पुलिस मैनुअल के मुताबिक, किसी पुलिसकर्मी पर मुकदमा दर्ज होने के बाद जांच का जिम्मा उसके बराबर या उससे वरिष्ठ अधिकारी को दिया जाना चाहिए। लेकिन यहां मामले की जांच एक जूनियर अधिकारी को सौंपी गई है। इसके साथ ही, लूट और भ्रष्टाचार जैसे संगीन मामलों में लागू होने वाली धाराएं, जैसे कि आईपीसी की धारा 166 और 167, एफआईआर में नहीं जोड़ी गईं।

लूट की धनराशि का क्या होगा?
इस पूरे मामले में यह भी स्पष्ट नहीं है कि जुए के फड़ से बरामद की गई लूट की धनराशि सरकारी खजाने में जमा होगी या इसका कोई और इस्तेमाल किया जाएगा। सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन पैसों का बंदरबांट किया जाएगा।

यह मामला पुलिस की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। क्या इस कांड में दोषियों को सही सजा मिलेगी, या यह मामला भी खानापूर्ति तक ही सीमित रह जाएगा, यह देखना बाकी है।

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