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Ghazipur: गंगा का उफान बना संकट, तटबंध टूटने से सेमरा गांव के अस्तित्व पर खतरा

ख़बर: राहुल पटेल, गाज़ीपुर

 

मोहम्मदाबाद (गाजीपुर)। गंगा नदी का बढ़ता जलस्तर एक बार फिर गाजीपुर जनपद के तटीय गांवों के लिए खतरे की घंटी बन गया है। खासकर मोहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र का सेमरा गांव इस बार सबसे अधिक संकट में नजर आ रहा है। बीते कुछ वर्षों से कटान की मार झेल रहा यह गांव अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। ग्रामीणों को डर है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो पूरा गांव गंगा की धारा में समा सकता है।

ग्रामीणों के अनुसार, कटान से बचाव के लिए बीते वर्षों में तट पर एक बांध (तटबंध) का निर्माण कराया गया था, जिसे उन्होंने संतोषजनक बताया। लेकिन समस्या उस समय खड़ी हुई जब गांव का नाला इसी तटबंध के ऊपर से गुजरते हुए सीधे गंगा में गिरने लगा। बरसात और गंदे पानी के साथ यह नाला धीरे-धीरे तटबंध की मजबूती को नुकसान पहुंचाने लगा।

जलस्तर बढ़ने से तटबंध पर बना दबाव
इस साल गंगा के जलस्तर में अचानक आई तेज़ वृद्धि ने तटबंध के भीतरी हिस्से तक पानी पहुंचा दिया है। इससे बांध के कमजोर हिस्सों पर गंभीर दबाव बन गया है। ग्रामीणों की चिंता है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो तटबंध कभी भी टूट सकता है। इसके बाद न सिर्फ गांव में बाढ़ का पानी भर जाएगा, बल्कि एक बार फिर तेज कटान की शुरुआत हो सकती है।

स्थानीय लोग जता रहे चिंता
सेमरा निवासी नंदू यादव ने बताया कि इस नाले की वजह से पहले भी तटबंध को नुकसान हुआ था, लेकिन मरम्मत कार्य में लापरवाही बरती गई। अब जलस्तर के दबाव ने हालात को और बिगाड़ दिया है। वहीं ग्रामीण हरिनारायण यादव ने आशंका जताई कि यदि तत्काल समाधान नहीं किया गया तो पूरा गांव धीरे-धीरे गंगा में समा सकता है।

प्रशासन सतर्क, मगर गांव में डर बरकरार
गाजीपुर जिला प्रशासन और बाढ़ नियंत्रण विभाग ने संभावित बाढ़ प्रभावित इलाकों की निगरानी शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि अभी गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है, लेकिन बीते 24 घंटे में इसमें तेजी से वृद्धि हुई है।

प्रशासन ने तटबंधों की जांच और मरम्मत के निर्देश जारी किए हैं, परन्तु सेमरा गांव के लोग अभी भी डरे हुए हैं। ग्रामीणों की निगाहें तटबंध पर और प्रशासन की ओर टिकी हैं कि कब राहत कार्य शुरू होगा और उन्हें आश्वासन मिलेगा कि उनका गांव सुरक्षित है।

गंगा का उफान एक प्राकृतिक प्रक्रिया जरूर है, लेकिन इससे जूझ रहे गांवों के लिए यह किसी त्रासदी से कम नहीं है। सेमरा गांव की स्थिति दर्शाती है कि समय रहते की गई छोटी लापरवाहियां किस तरह एक पूरे गांव को संकट में डाल सकती हैं। जरूरत है समयबद्ध, ठोस और दीर्घकालिक समाधान की,

ताकि लोगों का घर, जमीन और इतिहास यूं ही बह न जाए।

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