Varanasi: इमामबाड़ा विवाद पर मुतवल्ली ने पुलिस आयुक्त से लगाई न्याय की गुहार, विधायक पर लगाए गंभीर आरोप
मुतवल्ली नवाब प्यारे हसन ने विधायक नीलकंठ तिवारी पर वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जा और पुलिस पर दबाव में काम करने का लगाया आरोप

― ख़बर भारत, वाराणसी ब्यूरो
वाराणसी। दुर्गाकुंड स्थित ऐतिहासिक जनाना एवं मर्दाना इमामबाड़ा को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। इस संबंध में वक्फ संख्या 1-2048A के मुतवल्ली नवाब प्यारे हसन ने पुलिस आयुक्त, वाराणसी को एक पत्र सौंपकर न केवल अपनी जान-माल की सुरक्षा की मांग की है, बल्कि वाराणसी दक्षिण के विधायक नीलकंठ तिवारी और उनके समर्थकों पर वक्फ अधिनियम 1995 का उल्लंघन कर धार्मिक स्थल की भूमि पर अवैध रूप से वृक्षारोपण कराने का गंभीर आरोप भी लगाया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 6 जुलाई को मुहर्रम के दौरान भीड़भाड़ के चलते इमामबाड़ा का मुख्य द्वार गिर गया था, जिसे मुतवल्ली द्वारा मरम्मत कराया गया। इस मरम्मत कार्य पर कुछ स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद दुर्गाकुंड पुलिस चौकी पर दोनों पक्षों की उपस्थिति में समाधान कराते हुए परिसर की बैरिकेटिंग की गई थी।
लेकिन मुतवल्ली के अनुसार, 23 जुलाई की सुबह विधायक नीलकंठ तिवारी और उनके समर्थकों ने न केवल वक्फ भूमि पर जबरन वृक्षारोपण कराया, बल्कि बैरिकेटिंग को भी जगह-जगह से काट दिया।इस मामले में जब उनके पुत्र ने स्थानीय चौकी प्रभारी से शिकायत की तो पुलिस की ओर से उन्हें धमकी दी गई कि यदि आवाज उठाई तो शांति भंग जैसी धाराओं में जेल भेज दिया जाएगा।
पत्र में नवाब प्यारे हसन ने वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 51 एवं 52A, IPC की धारा 441 (अवैध प्रवेश) और धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को आहत करना) का हवाला देते हुए विधिक कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह न केवल धार्मिक स्थल की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कार्य है, बल्कि इससे शिया समुदाय में भारी आक्रोश है।
1. वक्फ भूमि से अवैध वृक्षारोपण को तत्काल हटाया जाए।
2. धार्मिक स्थल में अतिक्रमण करने वालों पर आपराधिक कार्यवाही की जाए।
3. पुलिसकर्मियों द्वारा की गई धमकी की जांच हो और संबंधितों पर सुसंगत धाराओं में कार्यवाही हो।
4. मुतवल्ली और उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
उल्लेखनीय है कि नवाब प्यारे हसन ने अपने वृद्धावस्था और स्वास्थ्य कारणों से स्वयं उपस्थित न हो पाने की बात कही है और अपने पुत्रों के माध्यम से पुलिस आयुक्त को यह आवेदन पत्र भिजवाया है। पत्र के साथ वक्फ बोर्ड द्वारा जारी मुतवल्ली नामे की प्रति और पूर्व के प्रशासनिक निर्देशों की छायाप्रति भी संलग्न की गई है।
यह मामला धार्मिक, संवैधानिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से बेहद गंभीर होता जा रहा है, जिस पर उच्चस्तरीय हस्तक्षेप की आवश्यकता जताई जा रही है।