वाराणसी पुलिस की लापरवाही पर उठे सवाल: पत्रकार को धमकी मिलने के 10 दिन बाद भी कार्रवाई का अभाव
नीरज सिंह
- वाराणसी पुलिस को मुकदमा लिखने में इतनी दिक्कत क्यों है भाई
- पत्रकारों के मामले में संवेदनहीन क्यों है वाराणसी पुलिस
- मुकदमा तो छोड़िए पत्रकार को धमकी के मामले में भी लिखित तहरीर देने के 10 दिन बीत जाने के बावजूद दबंग से पूछताछ तक के लिए नही बुला रही थाना चौबेपुर पुलिस
- तो क्या पुलिस ने अपने लिए कोई नया संविधान बना किया है, जिसका चाहे मुकदमा लिखे, जिसका चाहे न लिखें?
- 25 अक्टूबर को लिखित तहरीर देने के बावजूद क्यों नही हुआ कोई कार्यवाही
- तो क्या हत्या होने के बाद ही पुलिस करेगी कार्यवाही
- एक तरह सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ पत्रकारों के मामले में पुलिस किसी तरह की लापरवाही नही बरतने के लिए कहते है, वहीं पुलिस इसके उलट करने में लगी है
- वाराणसी पुलिस की लापरवाही पर उठे सवाल: पत्रकार को धमकी मिलने के 10 दिन बाद भी कार्रवाई का अभाव
वाराणसी: वाराणसी कमिश्नरेट के वरूणा जोन के चौबेपुर थाना क्षेत्र में एक स्थानीय पत्रकार विशाल कुमार को मनबढ़ द्वारा फोन पर धमकी और गाली-गलौज दिए जाने का मामला सामने आया है। घटना के बाद पत्रकार ने थाना प्रभारी को सूचित करते हुए अपनी सुरक्षा की मांग की, लेकिन 25 अक्टूबर को दी गई लिखित तहरीर के 10 दिन बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। स्थानीय पुलिस ने ना तो मुकदमा ही लिखा और ना ही दबंग से इसके बाबत पूछताछ की, तो क्या पत्रकारों के हत्या होने के बाद ही जागेगी पुलिस…?
पत्रकार का आरोप है कि थाना प्रभारी ने जांच का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक न तो आरोपी से पूछताछ की गई है और न ही कोई अन्य कदम उठाए गए हैं। इस स्थिति ने पुलिस की संवेदनहीनता और लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों का मानना है कि पुलिस इस मामले में प्रभावी कदम उठाने में हिचक रही है, जिससे मनबढ़ों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में निर्देश दिए थे कि पत्रकारों के मामलों में कोई लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए, लेकिन वाराणसी पुलिस की यह कार्रवाई उनकी बातों के विपरीत लगती है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पत्रकारों ने पुलिस प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।